निजी चिकित्सालय संचालक ऐसा कोई कार्य नहीं करें कि उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई करनी पड़े :- कलेक्टर
गुना:- कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कुमार पुरूषोत्तम ने जिले के समस्त प्रायवेट अस्पताल संचालकों को निर्देशित किया है कि वर्तमान में कोविड-19 के मद्देनजर महामारी अधिनियम एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम प्रभावशील है। इसे दृष्टिगत रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा प्रतिबंधात्मक आदेश धारा-144 के तहत जारी किए गए हैं। प्रायवेट अस्पताल संचालक महामारी अधिनियम एवं आपदा प्रबंधन अधिनियम पढ़ें। गैर जिम्मेदाराना ऐसा कोई कार्य नहीं करें जिससे जिला प्रशासन को कठोर दण्डात्मक कार्रवाई करनी पडे और उन्हें अप्रिय स्थिति का सामना करना पडे। उन्होंने यह बात आज जिला कार्यालय के सभाकक्ष में प्रायवेट चिकित्सालयों के संचालकों की कोविड-19 के मद्देनजर आयोजित बैठक में संजीवनी अस्पताल एवं बालाजी अस्पताल द्वारा की गई लापरवाही का उदाहरण देते हुए कही। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री उमेश शुक्ला, मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.पी.बुनकर, सिविल सर्जन सह अधीक्षक डॉ.एस.के. श्रीवास्तव सहित गुना शहर के विभिन्न प्रायवेट चिकित्सालयों के संचालकगण मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सालयों के संचालक कोविड-19 के मद्देनजर शासन द्वारा जारी प्रोटोकॉल का पालन करें। सर्दी, खांसी, बुखार वाले लक्षण के मरीज उनके यहां आते हैं तो तत्काल इसकी सूचना फीवर क्लीनिक दें। संबंधित मरीज के मोबाइल पर सार्थक लाइट एप डाउनलोड कराएं एवं आवश्यक जानकारियां अपलोड करें। उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सालय आधारभूत प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। वे जन-सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करें और शासन की व्यवस्थाओं एवं निर्देशों के पालन में सहयोगी बनें।
उन्होंने निर्देशित किया कि प्रायवेट अस्पतालों में आने वाले ऐसे मरीज जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे हैं लेकिन उनका आक्सीजन स्तर कम है तो, ऐसे मरीजों को 5 दिवस तक आईसोलेशन में रखें और जरूरी होने पर कोरोना वायरस की जांच कराएं। इस हेतु उन्होंने प्रत्येक प्रायवेट चिकित्सालयों द्वारा पृथक आईसोलेशन वार्ड बनाने, दिन में दो बार सेनिटाईजेशन कराने, कोरोना के प्रत्येक संदिग्ध मरीज की सूचना जिला प्रशासन को देने तथा जल्दी से जल्दी रोग के रोग के पहचान हो सके, में सहयोग बनने का आग्रह भी सभी से किया
इस अवसर पर उन्होंने जिले में संचालित प्रत्येक प्रायवेट चिकित्सालयों के संचालकों का वाट्सअप ग्रुप बनवाने तथा जानकारियां साझा करने के निर्देश मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी को दिए तथा कहा कि जांच रिपोर्ट आने तक फर्स्ट कांटेक्ट को होम क्वारेंटाइन नहीं संस्थागत क्वारेंटाइन किया जाए।