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Homeटीकमगढ़इरादे बुलंद हों, तो मंजिल खुद आकर बंदे के कदम चूमती है।

इरादे बुलंद हों, तो मंजिल खुद आकर बंदे के कदम चूमती है।

इरादे बुलंद हों, तो मंजिल खुद आकर बंदे के कदम चूमती है।

टीकमगढ़:- इरादे बुलंद हों तो मंजिल खुद पैर चूमती है, यह कहावत जिले के कवराटा गांव के भूपेन्द्र सिंह ठाकुर पर सटीक बैठती है। भूपेन्द्र भले ही दृष्टिबाधित दिव्यांग हों, लेकिन उनके मन में समाज में कुछ हटकर कर गुजरने की मंशा है। भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ने मध्यप्रदेश हाई स्कूल परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। उनका सम्मान मुख्यमंत्री द्वारा भोपाल में किया गया था। इस साल भूपेन्द्र सिंह ने हायर सेकेंडरी परीक्षा में मध्यप्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिये एक टेस्ट दिया था, जिसमें ढाई लाख विद्यार्थियों ने भाग लिया। उन ढाई लाख विद्यार्थियों में भपेन्द्र सिंह ठाकुर ने 191 रैंक हासिल की है।
इस संबंध में भूपेन्द्र ने कहा कि व्यक्ति को अपनी कमियों को देखकर कभी रूकना नहीं चाहिये। मन में एक अच्छी सोच के साथ आगे बढ़ने वाले व्यक्ति को हमेश सफलता मिलती है। इसलिये व्यक्ति के अंदर यदि कोई जाने अनजाने में कभी हो भी जाये, तो उसे उसका दुख नहीं करना चाहिये। कमी को सहारा बनाकर सफलता की खोज करनी चाहिये, इससे निश्चित ही एक दिन उस मुकाम पर पहुंचा जा सकता है जो व्यक्ति ने अपने अंदर सोच रखा है।
भूपेन्द्र का कहना है कि उनके मन में जरूरतमंदों के सहयोग की कल्पना है। इसके लिये वह यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूपीएससी पास करने के बाद आईएएस, आईपीएस या अन्य जो भी पद मिलता है तो वह उसके माध्यम से आमजन से जुड़कर जनहित के कार्यों को प्राथमिकता देंगे। भूपेन्द्र ने कहा कि देश और समाज में लोगों को सकारात्मक उर्जा और प्रेरणा देने के लिये वह हमेशा कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने संसाधन अनुसार लोगों की मदद जरूर करना चाहिये। वह राजनीति का विेशेष सब्जेक्ट लेकर अपने लक्ष्य की पूर्ति करने में जुटे हैं।

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