यह निर्विवाद सत्य है कि विश्व के प्राचीनतम धर्मग्रंथ वेदों, पुराणों और उपनिषदों ने संपूर्ण मानव समाज के अर्थपूर्ण जीवन निर्वाह के लिये आदर्श आचार संहिता दी है।