होंसले बुलंद हो तो आंधियों में चिराग जलते हैं, कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है अनुपमा त्रिपाठी ने।

होंसले बुलंद हो तो आंधियों में चिराग जलते हैं, कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है अनुपमा त्रिपाठी ने।

रायपुर:- (मनीष त्रिपाठी) खुली को कर बुलंद इतना कि सारा जमाना कहे वाह क्या बात है। को चरितार्थ कर दिखाया है अनुपमा त्रिपाठी ने। सलाम है इनके जज्बे को, सलाम है इनके होंसले को, जिन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया।

हम बात कर रहे हैं रायपुर की अनुपमा त्रिपाठी की जिन्होंने 24 साल की उम्र में एक दुर्घटना में अपना एक पैर गंवाने के बावजूद भी कभी हिम्मत नहीं हारी, अपने बुलंद होंसले के साथ कीर्तिमान स्थापित किया। उन्होंने महज दो घंटों में साढ़े ग्यारह किलोमीटर पैदल चल कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है।

 

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