अनूठा गांव जहां पैदा होते हैं फौजी, माटी में है देशप्रेम की सुगंध।

अनूठा गांव जहां पैदा होते हैं फौजी, माटी में है देशप्रेम की सुगंध।

नरसिंहपुर:-  जहां की फिजा भी देशप्रेम के तराने गा रही हो, वहां लोगों की रगों में खून के साथ देशभक्ति का दौड़ना भी लाजमी है। इस गांव के हर युवा का दिल भारत माता के लिए धड़कता है, तो आंखे डॉक्टर, इंजीनियर की बजाय सरहद की रक्षा के लिए फौजी बनने का सपना देखती हैं। नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील की ग्राम पंचायत के बरहटा, बरेली के दर्जनों युवाओं के सेना में भर्ती होने के बाद लोग इसे फौजियों का गांव कहने लगे हैं। ग्राम पंचायत के बरहेटा, बरेली व केंकरा गांव के युवाओं में फौजी बनने का जज्बा इस कदर हावी है कि 8- 10 वर्षों में लगभग 30 युवा भारतीय सेना में भर्ती होने के बाद देश की सेवा कर रहे हैं। वहीं इनसे कहीं ज्यादा युवा फौज में शामिल होने जी- तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

सुबह 4 बजे से शुरू हो जाता है अभ्यास

इन युवाओं को फिजिकल के बाद होने वाली राईटिंग व बौद्धिक परीक्षा की तैयारी में मदद करने वाले गांव के युवा इंजी. अतुल पटैल ने बताया कि अभी भी गांव के दर्जनों युवा सेना में जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्हें केवल भर्ती रैली का इंतजार है। अतुल के अनुसार वर्तमान में गांव के 30 से 40 युवा व किशोर अपनी तमन्ना को पूरा करने के लिए सुबह 4- 5 बजे उठकर बरहटा व कौंड़िया मार्ग मे लंबी दौड़ सहित खेतों में ऊंची व लंबी कूद की नियमित प्रेक्टिस करते हैं। अनेक युवाओं ने योग व व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल किया है। गांव के प्रतिष्ठित नागरिक पुरूषोत्तम कौरव ने बताया कि सेना में भर्ती हो चुके जवान जब गांव आते हैं तो वे तैयारी में जुटे युवाओं को जरूरी टिप्स व पूरा मार्गदर्शन देते हैं। अब तो गांव के बच्चों की आंखों में भी फौजी बनने का जुनून नजर आने लगा है।

सबसे पहले भर्ती हुए 2 जवान बने प्रेरणास्त्रोत

जानकारी के अनुसार वर्ष 2003 में ग्राम बरहटा, बरेली के राजेश पटैल भारतीय सेना में शामिल होने वाले पहले युवा थे। इनके बाद सुनील कौरव भी भर्ती में सफल हो गये। सेना के ये जवान ग्रामीण युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत व मार्गदर्शन बने तो कुछ ही सालों में कई युवाओं के तन सेना की वर्दी से सज गये। लगभग 17- 18 सौ की आबादी वाली इस ग्राम पंचायत के तीनों ग्राम एक- दूसरे से लगे हुए हैं। अपने बेटों के जज्बे को देखकर अभिभावक भी उन्हें प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। उनके खाने- पीने से लेकर हर बात का ध्यान रखते हैं।

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