नई दिल्ली। एम्स में बुजुर्ग मरीजों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। ट्रॉमा सेंटर में हड्डियों के फ्रैक्चर से पीड़ित बुजुर्ग मरीजों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार इलाज उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा सुविधा में और सुधार किया जा रहा है। इसके तहत इलाज के लिए पहुंचे बुजुर्गों की 36 घंटे में सर्जरी सुनिश्चित की जाएगी।
डॉक्टरों का कहना है कि बुजुर्गों की हड्डियों में फ्रैक्चर होने के 24 से 48 घंटे के अंदर सर्जरी का परिणाम बेहतर होता है। इसलिए जितनी जल्दी सर्जरी होगी, वह मरीज के लिए ज्यादा फायदेमंद साहित होगी।
ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख व ऑर्थोपेडिक के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश मल्होत्रा ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर में बुजुर्गों के इलाज के लिए जेरियाट्रिक मेडिसिन के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। इसके तहत ट्रॉमा सेंटर में छह बेड आरक्षित किए गए हैं। डॉक्टर कहते हैं कि बुजुर्ग मरीज जब अस्पताल पहुंचते हैं तो उन्हें अस्थमा, ब्लड प्रेशर, मधुमेह सहित कई तरह की परेशानियां होती हैं। इस वजह से जल्दी सर्जरी कर पाना मुश्किल होता है। इसलिए जेरियाट्रिक के विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद ली जा रही है, ताकि वे बुजुर्ग मरीजों को जल्द सर्जरी के लिए तैयार कर सकें।
जेरियाट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एबी डे ने कहा कि दिसंबर में यह पहल की गई थी। अभी 40 घंटे के अंदर बुजुगोर् की सर्जरी हो पा रही है। सर्जरी में लगने वाले समय को अभी और कम करने की कोशिश की जा रही है। हमारा प्रयास है कि 36 घंटे के अंदर सर्जरी सुनिश्चित की जाए। जेरियाट्रिक ब्लॉक में एक छत के नीचे मिलेंगी सभी सुविधाएं हाल ही में केंद्र सरकार ने एम्स में जेरियाट्रिक ब्लॉक के निर्माण का शुभारंभ किया है। इस ब्लॉक में हड्डियों के फ्रैक्चर के इलाज के लिए ऑपरेशन थियेटर (ओटी) व 20 बेड आरक्षित रहेंगे।