आंदोलन का गढ़ ग्वालियर-चंबल अंचल, दहशत में नेता, चिंता में प्रशासन
विवादों से घिरे एससी-एसटी एक्ट को लेकर ग्वालियर-चंबल अंचल सवर्ण आंदोलन का गढ़ बन गया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बंगले का घेराव करने सहित अंचल के कई नेता सवर्णों के निशाने पर आ गये हैं। इससे नेता दहशत में हैं। आंदोलन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है। रानी लक्ष्मीबाई के शहादत स्थलपर करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपत सिंह मकराना के आंदोलन में कूदने के ऐलान से केंद्र व राज्य सरकारों की परेशानी बढ़ा दी हैं। एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खिलाफत भी अंचल से शुरू हुई थी। 2 अप्रैल को हुई हिंसा में 8 लोगों की जान गई थी। ग्वालियर, मुरैना व भिंड में स्थिति कंट्रोल करने के लिये कई दिनों तक कर्फ्यू भी लगाना पड़ा था।सुप्रीम कोर्ट ने एससी- एसटी एक्ट के दुरुपयोग के प्रकरण सामने आने पर गाइडलाइन दी थी कि इस एक्ट में पुलिस गिरफ्तारी जांच के बाद ही करे। 2 अप्रैल को हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश अप्रभावी करने के लिए सदन में एससी-एसटी एक्ट को और प्रभावी ढंग से लागू कर दिया। इसमें बगैर जांच के गिरफ्तारी के साथ 6 माह तक जमानत नहीं देने का प्रावधान कर दिया।ग्वालियर-चंबल अंचल के सवर्ण इस एक्ट को काला कानून बताते हुए सड़कों पर उतर आये। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बंगले का घेराव किया। प्रदेश की केबिनेट मंत्री माया सिंह को काले झंडे दिखाने का प्रयास किया। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत का भी विरोध किया गया। सवर्णों के विरोध को देखते हुए अंचल के मंत्रियों के बंगलों की सुरक्षा बढ़ानी पड़ी है। इस एक्ट के विरोध में आंदोलन का शंखनाद सर्वणों ने ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई की वीरांगना स्थल पर भगवताचार्य देवकीनंदन ठाकुर की मौजूदगी में किया गया। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपत सिंह मकराना ने इस आंदोलन को समूचे देश में फैलाने का संकल्प लेकर वोट बैंक का गणित देखने वाले नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। देशभर में ग्वालियर-चंबल अंचल सवर्ण आंदोलन के गढ़ के रूप में सामने आया है।