आयुर्वेद उपचार की प्राचीन पद्धति:- डॉ. गोविन्द सिंह
ग्वालियर:- प्रदेश के सहकारिता, संसदीय कार्य एवं सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा कि आयुर्वेद उपचार की प्राचीन पद्धति है। इसे प्रदेश में बढ़ावा देने हेतु राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। आयुर्वेद चिकित्सकों का भी दायित्व है कि आयुर्वेद का पुराना वैभव प्राप्त हो, इस दिशा में उन्हें कार्य करने की आवश्यकता है। जिससे उपचार की इस प्राचीन पद्धति का अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
डॉ. गोविन्द सिंह रविवार को जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के गालव सभागार में मध्यप्रदेश राजपत्रित आयुष चिकित्सा अधिकारी संघ द्वारा आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी एवं प्रांतीय अधिवेशन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश के पशुपालन, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास मंत्री श्री लाखन सिंह यादव ने की। कार्यक्रम में विधायक श्री मुन्नालाल गोयल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में संघ के संरक्षक डॉ. कैलाश पवार, पूर्व प्रांत अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा, प्रांत अध्यक्ष डॉ. ओ पी शर्मा सहित प्रदेश भर से आए आयुष चिकित्सकगण उपस्थित थे। इस मौके पर मंत्रिगणों द्वारा वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सकों का शॉल-श्रीफल एवं पुष्पाहार से सम्मान किया गया। इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन कर संघ द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदाय किए गए।
डॉ. गोविन्द सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद उपचार की प्राचीन पैथी है। आयुर्वेद में बीमारी को ठीक होने में समय जरूर लगता है लेकिन बीमारी जड़ से समाप्त होती है। इस आयुर्वेद विषय पर विश्व में विभिन्न स्तरों पर अनुसंधान किया जा रहा है। प्रदेश में भी आयुर्वेद को बढ़ावा देने हेतु हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाभारत एवं रामायणकाल में भी आयुर्वेद में उपचार का उल्लेख किया गया है। भारत प्राचीनकाल से ही ज्ञान, संस्कार एवं चिकित्सा उपचार के क्षेत्र में आगे रहा है। लेकिन विदेशी आक्रमण के कारण इसमें कमी आई है। आयुर्वेद के इस वैभव को पुन: अर्जित करने की आवश्यकता है। इसके लिए आयुर्वेद के विद्वान एवं चिकित्सक इस कार्य को पूर्ण कर सकते हैं।