हर्बल ट्रेड में मध्यप्रदेश निभा सकता है बड़ी भूमिका।
भोपाल:- वैश्विक हर्बल व्यापार और दवा बाजार में भारत की स्थिति मजबूत करने में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वैश्विक हर्बल व्यापार अब 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। भारत का हर्बल उत्पाद निर्यात 456 मिलियन अमेरिकी डॉलर को छू गया है, लेकिन यह मध्यप्रदेश जैसे वन सम्पदा संपन्न राज्य के होते हुए और भी ज्यादा बढ़ सकता है। यह तथ्य भोपाल में इंटरनेशनल हर्बल फेयर-2019 शामिल हुए प्रतिभागियों से साक्षात्कार के बाद सामने आया है। प्रतिभागियों में हर्बल उत्पाद, आयुर्वेदिक दवा निर्माण कंपनियों, लघु वनोपज की जिला प्राथमिक सहकारी सोसायटियों के सदस्य, वनोपज इकठ्ठा करने वाले जनजातीय बंधु और पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रणाली से जुड़े चिकित्सक शामिल थे।वैश्विक हर्बल दवा बाजार में भारतीय कंपनियों की संख्या अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा है। विश्व स्तर पर 12 प्रमुख कंपनियों में से कम से कम पांच प्रमुख कंपनियां भारत की हैं। इनमें हिमालय ड्रग कंपनी, झंडू फार्मास्यूटिकल्स वर्क्स लिमिटेड, डाबर लिमिटेड, हमदर्द लेबोरेटरीज और पतंजलि आयुर्वेदिक लिमिटेड शामिल हैं। अन्य नामी कंपनियों में जर्मनी की श्वाबे, स्पेन की मैडौस, फ्रांस की अरकोफरमैन, ऑस्ट्रेलिया की ब्लैकमोर, जापान की त्समुरा, ताइवान की शेंग चांग फार्मास्युटिकल, स्विटजरलैंड की रिकोला एजी, यूएस की चाइना हर्ब्स और न्यूट्रास्यूटिकल इंटरनेशनल शामिल हैं।
मध्यप्रदेश में अश्वगंधा, सर्पगंधा, कालमेघ, शतावर, आंवला, ब्राम्ही, जैसी महत्वपूर्ण जड़ी-बूटियों के नियमित आपूर्तिकर्ता बनने की संभावना है। भारत सरकार जड़ी-बूटियों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। खेती की लागत का 75 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। जिन जड़ी-बूटियों की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है, उनमें से ज्यादातर मध्यप्रदेश के जैव विविधता समृद्ध जंगलों में पाई जाती हैं। हर्बल दवा उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रमुख रूप से बीज, जड़, छाल, फूल, पत्ते और तेल उपयोग में आते हैं।