a
Copyright Hindustan Media Diary
फारेस्ट रेंजरो के पदस्थापना आदेश जारी, देखें सूची?-भारतीय वन सेवा के आधिकारियों के तबादले!-अनियमितता एवं गंभीर लापरवाही के चलते 4 इंजिनियर निलंबित!-सिविल सर्जन को हटाने के लिए कलेक्टर ने लिखा स्वास्थ्य आयुक्त को पत्र!-प्रदूषण नियंत्रण के लिए परिवहन विभाग की व्यवस्था के साथ आरव्हीसीएफ सेंटर शुरू!-निगमायुक्त ने कार्य व्यवस्था के चलते कर्मचारियों/आधिकारियों के मध्य किया कार्य विभाजन!-राज्य पुलिस सेवा के आधिकारियों के तबादले!-सहायक यंत्री का एक माह का वेतन राजसात करने के लिए नोटिस जारी!-अनियमितता, लापरवाही और उदासीनता बरतने पर चिकित्सा अधिकारी निलंबित!-IPS आधिकारियों के तबादले, देखें सूची?
Homeअंचलबेटी ने बदल डाली अपने मायके की तकदीर

बेटी ने बदल डाली अपने मायके की तकदीर

बेटी ने बदल डाली अपने मायके की तकदीर

दतिया:- बेटियां मायके की मदद के लिए कुछ नया करने की ठान लें, तो क्या नहीं कर सकती हैं। ऐसा ही कर दिखाया है दतिया के रामनगर में रहने वाली बाईस वर्षीया राधा सानिया ने। उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे अपने मायके की तस्वीर बदल कर रख दी।
बी.एस.सी. पास करने के बाद सबसे पहले नौकरी करने का विचार राधा के दिमाग में मायके के बिगड़ते हालातों के समय आया था। लेकिन वह इसे हकीकत में नहीं बदल सकीं। इसके बाद राधा ने भरपूर आमदनी को देखते हुए डेयरी उद्योग करने की ठानी और घर पर ही भैंसें पालने की अपनी योजना परिवार वालों के सामने रखी। इस पर परिवार वाले तो सहमत थे, पर कुछ करीबी लोगों ने तो यह कहते हुए ताना मारा कि अरे भाई पढ़-लिखकर लड़की भैंसों के दूध का कारोबार करना चाहती है।
लेकिन राधा धुन की पक्की थीं। यह काम उन्होंने अपनी मर्जी से परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए चुना था। मगर उनके पास डेयरी उद्योग शुरू करने के लिए पूंजी नहीं थी। इसी बीच जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति ने राधा को आठ भैंसों के लिए 5 लाख रूपये का ऋण दिलाया, जिसमें 1.50 लाख रूपये का अनुदान भी शामिल है। लेकिन राधा को शुरू में चार भैंसों के लिए ही पैसा मिला और उन्होंने चार भैंसों से ही डेयरी उद्योग का काम शुरू किया।
एक बेटी ने जिस काम को मायके की आमदनी बढ़ाने के तौर पर शुरू किया था, आज वही अच्छी कमाई के फलते-फूलते कारोबार में तब्दील हो गया है। अपनी कड़ी मेहनत एवं लगन से आखिरकार एक बेटी ने अपने मायके वालों को अच्छी स्थिति में लाने के लिए अपना डेयरी कारोबार खड़ा कर समाज और अपने मोहल्ले के सामने एक नई मिसाल पेश की। घने कुहरे को चीरकर मंजिल तक पहंुचना सचमुच जोखिम भरा होता है। राधा ने अपने मायके वालों के ऊपर छाए घने कुहरे को ही अलग-थलग नहीं किया, बल्कि दूसरों को भी एक नई दिशा और राह दिखाई है।
अच्छा मुनाफा दे रहे इस डेयरी उद्योग में उनके पिता श्री सीताराम और माता भी उनकी मदद करते हैं। राधा 43200 हजार रूपये प्रतिमाह कमाती हैं। चार भैंसें और आ जाने पर यह आमदनी आगे चलकर कई गुना बढ़ जाएगी। राधा के पिता श्री सीताराम कहते हैं कि राधा ने डेयरी उद्योग करने की ठानी और कामयाब होकर दिखाया। वह कहते हैं कि मुझे इस बात पर फख्र है कि मेरी बेटी इतनी अच्छी है। यह पूछने पर कि डेयरी उद्योग ही क्यों चुना, राधा कहती हैं कि पशुपालन ऐसा व्यवसाय है, जिसमें घर की महिलाएं घरेलू कामकाज के साथ-साथ यह काम अच्छे से कर सकती हैं। जिला अंत्यावसायी सहकारी विकास समिति के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हीरेन्द्र सिंह कुशवाह कहते कि डेयरी विकास के अंदोलन में नारी शक्ति का भी सहयोग लिया जा रहा है।
राधा अपने दूध डेयरी पर कार्य करती हुई।

Share With:
Rate This Article

hindustanmediadiary@gmail.com

No Comments

Leave A Comment