प्रदेश में निर्मित होगी 45 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता
भोपाल:- प्रदेश में उपलब्ध जल क्षमता के बेहतर प्रबंधन के लिये जल संसाधन विभागने सिंचाई क्षमता में वृद्धि, उपलब्ध क्षमता के पूर्ण उपयोग और भविष्य के लिये नई योजनाओं की रूप-रेखा तैयार की है। इससे सिंचाई के क्षेत्र में आत्म-निर्भता निर्मित होगी। प्रदेश में कृषि विकास को नई दिशा मिलेगी।
मध्यप्रदेश में आगामी 5 वर्ष में 45 लाख हेक्टेयर तक सिंचाई क्षमता निर्मित करने के लिये राज्य सरकार सिंचाई परियोजनाओं पर वर्ष 2025 तक एक लाख 10 हजार 500 करोड़ का निवेश करेगी। वर्तमान में प्रदेश में31 वृहद, 57 मध्यम और 441 लघु सिंचाई योजनाएँ निर्माणाधीन हैं। कुशल प्रबंधन से प्रदेश में सिंचाई क्षमता का शत-प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। अल्प वर्षा एवं कम जल भराव के बावजूद प्रदेश में वर्ष 2018-19 में खरीफ सीजन में 2.49 लाख हेक्टेयर और रबी सीजन में 27.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा दी गई। दोनों सीजन में कुल मिलाकर 29 लाख 68 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई। जिन क्षेत्रों में नहरों के माध्यम से पानी पहुँचाने में कठिनाई आ रही है, वहाँ सूक्ष्म सिंचाई पद्धति (स्प्रिंकलर/ड्रिप) के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिये 24 वृहद और 35 मध्यम सिंचाई परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। इनके पूरा होने पर 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त रूप से सूक्ष्म सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिये 9 हजार 463 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है। निर्माण एजेंसी का निर्धारण भी कर लिया गया है। इनके पूरा होने पर 5 लाख 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ेगी। पूर्व से निर्मित वृहद और मध्यम परियोजनाओं की नहरों में जल रिसाव से जल की क्षति को कम करने के लिये लाइनिंग के काम को प्राथमिकता से पूरा कराया जा रहा है। वर्तमान में 2 वृहद परियोजना तवा एवं बारना की नहरों में लाइनिंग का काम किया जा रहा है। प्रदेश में 23 सिंचाई योजनाओं के 10 लाख 37 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कमाण्ड और 6 लाख 93 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वाटरकोर्स एवं फील्ड चैनल का कार्य पूरा कर लिया गया है। सिंचाई में जन-भागीदारी बढ़ाने के लिये 2 हजार 64 जल उपभोक्ता संस्थाओं के माध्यम से 24 लाख 74 हजार हेक्टेयर कमाण्ड क्षेत्र में सिंचाई प्रबंधन का कार्य जन सहभागिता के माध्यम से किया जा रहा है।
प्रदेश के सभी अंचलों में सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। मालवांचल में सिंचाई परियोजनाओं से 5 लाख 38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक मालवांचल में 2 लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। इन योजनाओं में लगभग 6 हजार 65 करोड़ रूपये का निवेश होगा। मालवांचल में 147 लघु सिंचाई परियोजनाओं पर तेजी से काम जारी है। विंध्याचल और जबलपुर अंचल में वर्तमान में 4 लाख 97 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक इस अंचल में 2 लाख 77 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। इन सिंचाई परियोजनाओं में करीब 8 हजार करोड़ का निवेश होगा। बघेलखण्ड और रेवांचल में वर्तमान में 3 लाख 37 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक इस क्षेत्र में तीन लाख 59 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त नई सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। अंचल में 54 लघु सिंचाई परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं। इन योजनाओं के पूरा होने पर 3 लाख 19 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नई सिंचाई क्षमता विकसित हो सकेगी। योजनाओं में 7 हजार 914 करोड़ रूपये का निवेश होगा।
प्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल में वर्तमान में 2 लाख 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक इस अंचल में 9 लाख 33 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। क्षेत्र की सिंचाई परियोजना में लगभग 32 हजार करोड़ रूपये का निवेश होगा। भोपाल अंचल में सिंचाई परियोजनाओं से 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक भोपाल अंचल में 4 लाख 51 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। इस क्षेत्र की सिंचाई परियोजना में लगभग 13 हजार 781 करोड़ रूपये का निवेश किया जायेगा। ग्वालियर और चंबल अंचल में वर्तमान में 8 लाख 17 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक इन अंचलों में 2 लाख 85 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। सिंचाई परियोजनाओं में करीब 7 हजार 300 करोड़ रूपये का निवेश किया जायेगा। होशंगाबाद एवं सतपुड़ा अंचल में वर्तमान में 4 लाख 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। वर्ष 2025 तक इस अंचल में एक लाख 43 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की जायेगी। सिंचाई परियोजनाओं में 4 हजार 600 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश होगा।