महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम हेतु आंतरिक परिवाद समिति का गठन होगा
ग्वालियर:- महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोषण) अधिनियम 2013 एवं नियम 2013 की धारा-4 के अनुसार समस्त शासकीय एवं अशासकीय कार्यालय में जहाँ 10 या 10 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं वहाँ पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जायेगा।
संभागीय आयुक्त श्री बी एम शर्मा ने सभी कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करने के संबंध में दिए गए निर्देश के परिपालन में ग्वालियर जिले में सभी शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों में सात दिवस के अंदर समितियों का गठन करने के निर्देश जारी किए गए हैं। समिति के गठन के पश्चात समिति अध्यक्ष एवं सदस्यों हेतु प्रशिक्षण 25 जून को कलेक्ट्रेट कार्यालय के जन-सुनवाई हॉल में दोपहर 12 बजे से आयोजित किया गया है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री शिवम वर्मा ने सभी कार्यालय प्रमुखों को पत्र जारी कर अपने-अपने कार्यालय में समितियों का गठन करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि आंतरिक परिवाद समिति में पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य स्थल पर कार्यरत वरिष्ठ महिला अधिकारी एवं कर्मचारी को नियुक्त किया जायेगा। यदि कार्यस्थल पर वरिष्ठ महिला उपलब्ध नहीं है तो अन्य कार्यालय से ऐसी महिलाओं को नामांकित किया जायेगा। कर्मचारियों में से दो सदस्य ऐसे होंगे, जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध है। जिनके पास समाज सुधार के कार्यों का अनुभव अथवा विधिक ज्ञान है, समिति में शामिल किए जायेंगे। महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध एवं लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से परिचित गैर सरकारी संगठन के एक सदस्य को भी समिति में रखा जायेगा।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री शिवम वर्मा ने यह भी लिखा है कि समिति में नामांकित सदस्यो में से कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होना चाहिए। समिति के पीठासीन अधिकारी एवं सदस्यों की नियुक्ति अधिकतम तीन वर्ष के लिए होगी। तीन वर्ष के पश्चात समिति का पुनर्गठन किया जायेगा। आंतरिक परिवाद समिति गठन न होने पर नियमों में जुर्माने का भी प्रावधान है जो 50 हजार रूपए तक हो सकता है। सभी शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों को अनिवार्यत: सात दिन में समिति का गठन कर समिति सदस्यों को प्रशिक्षण में भेजने के निर्देश जारी किए गए हैं।