भूखंड होंगे राजसात, कॉलोनाईजारों को आश्रय शुल्क जमा न करना पड़ सकता है भारी!

ग्वालियर:- आवासीय कॉलोनिया विकसित करने के लिये जारी की गई अनुमति में निहित प्रावधानों के अनुसार अतिरिक्त आश्रय शुल्क जमा न करना विभिन्न कॉलोनाइजरों को भारी पड़ सकता है! इन कॉलोनाइजरों के आश्रय शुल्क राशि के बराबर के भू-खण्डों को राजसात करने के संबंध में अग्रिम कार्यवाही करने के लिये कलेक्टर न्यायालय द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। इन कॉलोनाइजरों की पेशी 25 नवम्बर निर्धारित की गई है।

कलेक्टर श्रीमती रूचिका चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 और उसके अधीन बनाए गए म.प्र. ग्राम पंचायत (कॉलोनियों का विकास) नियम 2014 के अधीन जिन कॉलोनाइजरों ने कॉलोनियां विकसित करने के लिये  अनुमति ली थी, उसमें स्पष्ट प्रावधान था कि कॉलोनाइजर को अतिरिक्त आश्रय शुल्क की राशि जिला पंचायत की आश्रय निधि में जमा करना अनिवार्य है।  कुछ कॉलोनाइजरों द्वारा यह राशि जमा नहीं कराई गई है, इस कारण कलेक्टर न्यायालय द्वारा भूखण्ड राजसात करने के लिये संबंधित कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार धनेली मुरार में कॉलोनी विकसित कर रहे कॉलोनाइजर अमित कुमार जैन व अंकुर जैन ने 73 लाख 30 हजार 862 रूपए का अतिरिक्त आश्रय शुल्क जिला पंचायत की आश्रय निधि में जमा नहीं कराया है। इसी तरह कॉलोनाइजर मै. आरडी डवलपर्स द्वारा  मनीष सिंह व आनंद कुमार द्वारा कल्याणी डबरा का लगभग 30 लाख 25 हजार, विजेन्द्र सिंह, संजय सिंह, नेक्सपाथ इंफ्रा सोल्युशन्स प्रायवेट लिमिटेड पार्टनर योगेन्द्र सिंह गुर्जर व कौशलेन्द्र सिंह द्वारा धनेली मुरार का लगभग 3 लाख 96 हजार, मै. आसरा डवलपर्स द्वारा प्रो. अभिषेक जैन व योगेन्द्र सिंह गुर्जर द्वारा टेकनपुर डबरा का लगभग 3 लाख 57 हजार, संजय सिंह भदौरिया व मै. कृतिका कंस्ट्रक्शन एण्ड कॉन्ट्रेक्टर पार्टनर रविशंकर शर्मा द्वारा बझेरा चीनौर का 44 लाख 5 हजार 674, सुशील कुमार चौधरी द्वारा करगवां मुरार का लगभग 14 लाख 47 हजार एवं मैसर्स आमरा इन्फ्राटेक सचिव संजीव शर्मा द्वारा वीरमपुरा मुरार का लगभग 29 लाख 23 हजार रूपए का अतिरिक्त आश्रय शुल्क जिला पंचायत की आश्रय निधि में जमा नहीं कराया गया है।

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