आजाद की मृत्यु का अग्नि दुर्घटना से कोई सम्बन्ध नहीं :- डॉ धाकड़
ग्वालियर:- जयारोग्य चिकित्सालय समूह के ट्रामा सेंटर के आईसीयू वार्ड में छत में लगे एयर कंडीशनर में सुबह आग लगने की घटना हुई। इस आग को ट्रामा सेंटर में मौजूद चिकित्सक, पैरामेडीकल स्टाफ, नर्सिंग एवं गार्ड की मदद से तत्काल बुझा दिया गया, साथ ही आईसीयू में भर्ती सभी मरीजों को वेंटीलेटर सहित सुरक्षित बाहर निकालकर दूसरे वार्ड में पहुँचाया गया।
गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ आरकेएस धाकड़ ने बताया है कि मंगलवार की सुबह लगभग 6.50 बजे जेएएच के ट्रामा सेंटर के छत में लगे आइसीयू के ए. सी. में अचानक आग लग गई। आग पर चिकित्सकों एवं अस्पताल के ट्रेंड स्टाफ द्वारा तुरंत काबू पा लिया गया था, अस्पताल में उपलब्ध फायर एस्टींगुईस की मदद से आग बुझाई गई। उन्होंने बताया कि जेएएच में लगातार आग बुझाने सहित आपदा प्रबंधन की लगातार मॉक ड्रिल होती रहती है। इस वजह से ट्रेंड स्टाफ ने आसानी से आग बुझा दी। साथ ही आइसीयू में वेंटिलेटर पर भर्ती अति गंभीर मरीजों सहित ट्रामा सेंटर के सभी मरीजों को सुरक्षित रूप से बाहर निकालकर दूसरे वार्ड में इलाज शुरू कर दिया गया था।
अधिष्ठाता डॉ. आर के एस धाकड़ ने मरीज आजाद खान की मृत्यु के संबंध में स्पष्ट किया है कि लगभग 68 वर्षीय मरीज आजाद खान की मृत्यु का कोई संबंध इस अग्नि दुर्घटना से नहीं है। डॉ धाकड़ ने बताया कि हैड इंजुरी की वजह से आजाद खान को अति गंभीर स्थिति में मेडिकल कॉलेज शिवपुरी से रेफर होकर जीआर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के ट्रामा सेंटर के आईसीयू में भर्ती कराया गया था । वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. आदित्य श्रीवास्तव द्वारा मरीज के सिर का सीटी स्कैन कराया गया। जिससे पता चला कि आजाद खान के लेफ्ट फ्रंटोटेम्प्रोपेराइटल रीजन में सबड्यूरल हिमेटोमा तथा कंट्यूजन थे और मरीज ब्रेन डैड की स्थिति में था।
डॉ. धाकड़ ने बताया कि आजाद खान की मृत्यु अति गंभीर हैड इंजुरी की वजह से हुई है। क्रिटिकल अवस्था में भर्ती मरीज आजाद खान को ट्रामा सेंटर के आईसीयू में आग लगने पर तत्काल वेंटिलेटर सहित सुरक्षित निकाल लिया गया था। आजाद खान की मृत्यु कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट से हुई है, जिसके लिए मरीज का सीपीआर एवं समस्त जीवन रक्षक दवाईयां दी गईं। परंतु समस्त प्रयासों के बावजूद आजाद खान का निधन प्रात: 11 बजे हो गया। उन्होंने बताया कि आग लगने की घटना से आजाद खान की मृत्यु का कोई संबंध नहीं है, क्योंकि मरीज पूर्ण क्लोज सर्किट वेंटीलेटर पर होने से मरीज की श्वांस नली में धुँआ जाने की संभावना नहीं थी। साथ ही ट्रामा सेंटर में ऑक्सीजन सिस्टम होने के कारण ऑक्सीजन की भी कमी नहीं हुई।