“एक बेटी में संतुष्टि” कुदरत की देन को प्रसाद समझकर ग्रहण करें:- डॉ रुनवाल
ग्वालियर:- विश्व जनसंख्या दिवस पर दुनिया में “पॉपुलेशन बूम” को देखते हुए शहर के वरिष्ठ बाल्य एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविन्द रूनवाल का कहना है कि हमारे एक ही बेटी है एण्ड दैट्स ऑल। बच्चों की संख्या से ज्यादा जरूरी है उनका बेहतर पालन पोषण। अब क्वालिटी का युग है, क्वान्टिटी का नहीं। महाभारत में भी सौ कौरवों की सेना पर महज 5 पांडव भारी पड़े थे। तो बेटी हो या बेटा, उसे मंदिर के प्रसाद की तरह ग्रहण करें, कुदरत की ये देन किसी मिष्ठान्न भंडार की मिठाई नहीं, जहां हम अपनी च्वाइस चुनें। वैसे भी घटते लिंगानुपात तथा बालिका भ्रूण हत्या जैसे जघन्य कृत्यों से इंसान ने मानवता को शर्मसार किया है। जब ईश्वर ने ही आधी आबादी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया, तब समानता का प्रतिनिधित्व करती बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की शासकीय ब्रान्ड एम्बेसडर डॉ शिराली रूनवाल जैसी पुत्रियां समाज में एक जीती जागती मिसाल हैं। लगभग 3000 अवार्ड्स से पूरे घर को भर देने वाली ऐसी इकलौती संतान ही काफ़ी है।