a
Copyright Hindustan Media Diary
निजी नर्सिंग होम की मनमानी पर लगेगी रोक, प्रदर्शित करनी होगी रेट लिस्ट:- आयुक्त स्वास्थ्य एवं चिकित्सा-वार्ड स्वास्थ्य अधिकारी निलंबित, 3 को कारण बताओ नोटिस!-"तानसेन संगीत समारोह" 15 से 19 दिसम्बर तक!-मुख्यमंत्री की यात्रा निवेश का नया युग शुरू करेगी :- उपमुख्यमंत्री-IAS एवं IPS आधिकारियों के पदोन्नति आदेश जारी!-कलेक्टर ने रासुका लगाकर तीन महीने के लिए जेल भेजनें के आदेश!-जर्मन की कम्पनी करेगी मध्यप्रदेश में 100करोड़ का निवेश, सेकड़ो युवाओं को मिलेगा रोजगार!-अपने पूर्व आदेश को निरस्त कर किया नयसंचालनालय स्वास्थ सेवाएं ने!-17 किसानों पर अर्थदण्ड, कलेक्टर के निर्देश के बाद भी जलाई पराली!-मंत्रालय में शासकीय सेवकों के तबादले, देखें सूची?
Homeदेश दुनियाप्रदूषण के शिकार हो रहे है विश्व के 93 प्रतिशत बच्चे

प्रदूषण के शिकार हो रहे है विश्व के 93 प्रतिशत बच्चे

प्रदूषण के शिकार हो रहे है विश्व के 93 प्रतिशत बच्चे

विश्व के 15 वर्ष से कम उम्र के 93 प्रतिशत बच्चे प्रतिदिन प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं जिससे उनके स्वास्थ्य  और विकास पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार 2016 में  दुनिया में 600, 000 बच्चों की प्रदूषित हवा के कारण सांस संबंधी बिमारियों से मौत हुई।  विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘वायु प्रदूषण और बाल स्वास्थ्य’ पर नयी रिपोर्ट में विश्व, विशेषतौर पर निम्न एवं मध्य आय वाले देशों के बच्चों के स्वास्थ्य पर “वायु प्रदूषण  घर में और घर के बाहर” के तहत दोनों जगह साफ वायु की जांच की  गई है। यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन की वायु प्रदूषण एवं स्वास्थ्य पर पहले वैश्विक सम्मेलन की पूर्व संध्या पर लॉन्च की गई है।

गर्भवती महिला प्रदूषित वातावरण में रहती है तो उनमें समय से पूर्व शिशु को   जन्म देने की प्रवृति अधिक देखी गई है। ऐसे  बच्चों का बाद में  विकास प्रभावित होता है। वायु प्रदूषण मानसिक विकास एवं ज्ञान-क्षमता पर प्रभाव डालला है। इससे अस्थमा और बचपन में ही कैंसर हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अधानोम घेब्रियेसुस ने कहा, प्रदूषित वायु लाखों को बच्चे के लिए जहर है और उनके जीवन को खत्म कर रही है।” इसे नकारा नहीं जा सकता है। हर बच्चे को स्वच्छ वायु में सांस  लेना चाहिए। वायु प्रदूषण का प्रभाव बच्चों पर वयस्कों की तुलना में अधिक होता है  क्योंकि बच्चे तेजी से सांस लेते हैं जिससे वह अधिक प्रदूषित हवा भीतर खींचते हैं  और इसका असर उनके फेंफड़ों पर पड़ता है।

Share With:
Rate This Article

hindustanmediadiary@gmail.com

No Comments

Leave A Comment