गैर अधिमान्य पत्रकारों को ही नहीं, जनसम्पर्क विभाग के कर्मचारियों को भी सम्मिलित किया जाए फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में माननीय मुख्यमंत्री जी।
ग्वालियर:- प्रेस क्लब ग्वालियर एवं मध्यप्रदेश पत्रकार संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि, गैर अधिमान्य पत्रकारों को ही नहीं बल्कि जनसम्पर्क विभाग के कर्मचारियों को भी फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में शामिल किया जाए। क्योंकि आज पूरी दुनिया में खौफ का प्रतीक बन चुके कोरोनावायरस (कोविड-19) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बहुत सारे लोग इसकी चपेट में आकर अपनी जान भी गंवा चुके हैं जबकि इसके पीड़ितों की संख्या में भी रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तमाम एहतियाती कदम भी उठाए गए हैं। संकट के इस दौर में भी डॉक्टर, पुलिसकर्मी, और मीडिया कर्मी अपनी जान की परवाह न करते हुए तमाम जोखिमों के बीच मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। मीडिया कर्मी वह योद्धा हैं, जो अपनी जान को जोखिम में डाल कर जनता तक सही जानकारी पहुंचा रहे हैं व सरकार और जनता के बीच सेतु का काम कर रहे है। इन परिस्थितियों में मीडिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जुड़ी घटनाक्रमों से लोगों को अवगत कराने में अहम भूमिका निभा रहा है.प्रदेश सरकार ने अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर माना है इसके लिये ग्वालियर प्रेस क्लब और मध्यप्रदेश पत्रकार संघ आपका आभारी है तथा आपसे यह भी मांग करता है कि गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों और जनसंपर्क विभाग कर्मचारियों को भी फ्रंट लाइन वर्कर माना जाए। क्योंकि वे भी अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों की भांति अपना जीवन दांव पर लगाकर कोरोना की रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इसमे प्रेस फ़ोटो ग्राफर से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरा मैन भी शामिल हैं। उन्हें भी फ्रंट लाइन वर्कर माने जाने का आग्रह है। प्रदेश में गैर अधिमान्यता पत्रकार होने के बावजूद अपने कर्तव्य का निर्वहन जन सेवा और सरकार की बात जनता तक पहुंचने में कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में संक्रमण काल में भी जान जोखिम में डालकर पत्रकार और जनसंपर्क विभाग कर्मचारि अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। ऐसे में केवल अधिमान्य पत्रकारों को फ्रंट लाइन वर्कर घोषित करना शेष पत्रकारों और जनसंपर्क विभाग कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा। गैर अधिमान्य पत्रकारों के लिए जनसंपर्क विभाग में रजिस्टर्ड संस्थानों से लिखित में संस्थानों में कार्य करने वाले पत्रकारों की सूची बुलाई जाए, ताकि गैर अधिमान्य पत्रकारों को भी फ्रंट लाइन वर्कर का दर्जा मिल सके। साथ ही गैर अधिमान्य पत्रकारों का निःशुल्क चिकित्सा सुविधा ( पत्रकार व उसके परिवार का निजी अस्पताल में उपचार का सारा खर्च) सरकार वहन करें और कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु होने पर 50 लाख रुपए की आर्थिक मदद परिवार को करें। सरकार की इस छोटी सी मदद से पत्रकार निर्भीक होकर फील्ड पर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकेगा। ग्वालियर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शर्मा, सचिव सुरेश शर्मा,मध्यप्रदेश पत्रकार संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र माथुर, वरिष्ठ पत्रकार राम विद्रोही, अबध आनंद,सुरेश सम्राट, राकेश अचल, साबिर अली, उपाध्यक्ष प्रेस क्लब ग्वालियर प्रदीप तोमर, गुरुशरण सिंह अहलूवालिया सँपादक सिटी टुडे ,विनय अग्रवाल, जोगेंद्र सैन, अजय मिश्रा, परेश मिश्रा, रामकिशन कटारे,राज दुबे, सुनील पाठक, विनोद शर्मा, नासिर गौरी, जावेद खान, दिनेश राव, संजय त्रिपाठी, प्रदीप शास्त्री, गौरव शर्मा , मनीष शर्मा, अभिषेक शर्मा, संतोष पारासर, रवि शेखर, प्रमोद शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, प्रमोद गोस्वामी, अजय शर्मा, राहुल जैन, हेमंत गुप्ता, मचंल सिंह वेश्य, गिर्राज त्रिवेदी, विष्णु अग्रवाल,,राजेन्द्र तलेगांवकर, राजेश जयसवाल ,रवि उपाध्याय, विक्रम प्रजापति ,राकेश बर्मा ,जयदीप सिकरवार ,मुकेश बाथम, सतीश शाक्यवार, उपेंद्र तोमर आदि ने कहा कि इन परिस्थितियों में रिर्पोटिंग कर रहे पत्रकारों को संक्रमण का कितना खतरा है,इसके बावजूद भी पत्रकार अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। सरकार महामारी की स्थिति को देखते हुए जल्द से जल्द निर्णय लेकर सहयोग करे । ताकि अधिमान्य पत्रकारों और जनसंपर्क विभाग कर्मचारियों को भी फ्रंट लाइन वर्कर्स को दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ मिल सके।