“तानसेन संगीत समारोह” 15 से 19 दिसम्बर तक!
ग्वालियर:- शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनियाँ के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव ” तानसेन समारोह ” के इस बार अलग ही रंग होंगे। गान महर्षि तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले शास्त्रीय संगीत के सालाना महोत्सव का इस साल शताब्दी वर्ष है। इस बात को ध्यान में रखकर समारोह में नए आयाम जोड़े गए हैं। यूनेस्को द्वारा “सिटी ऑफ म्यूजिक” के रूप में चुनी गई संगीत एवं कला की नगरी ग्वालियर में “तानसेन समारोह” की तैयारियाँ जोरों पर हैं। मुख्य तानसेन समारोह इस साल 15 से 19 दिसम्बर तक आयोजित होगा। सुरों के इस समागम में देश-विदेश के प्रतिष्ठित और ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर स्वरांजलि अर्पित करने आ रहे हैं। समारोह में प्रस्तुति देने आ रहे इन शीर्षस्थ कलाकारों की सूची राज्य शासन के संस्कृति विभाग द्वारा जारी कर दी गई है। इस बार मुख्य तानसेन समारोह से एक दिन पहले यानि 14 दिसम्बर को हजीरा स्थित इंटक मैदान में पूर्व रंग “गमक” की सभा सजेगी। इस कार्यक्रम में हर साल की तरह उप शास्त्रीय अथवा सुगम संगीत के क्षेत्र में देश व दुनिया में लोकप्रिय कलाकार की प्रस्तुति होगी। पूर्व रंग गमक की श्रृंखला में 5 दिसम्बर को रीवा, 6 दिसम्बर को गुना, 7 दिसम्बर को शिवपुरी एवं ओरछा में विशेष संगीत सभायें सजेंगीं।
ज्ञात हो राज्य शासन के संस्कृति विभाग की उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी व मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा जिला प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से हर साल तानसेन संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है।
शताब्दी वर्ष के तानसेन समारोह का आगाज 15 दिसम्बर को होगा। इस दिन सुबह 10 बजे हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा एवं मीलाद वाचन से समारोह का पारंपरिक शुभारंभ होगा। सायंकाल 6 बजे समारोह की मुख्य सभाओं के लिए बनाए गए भव्य मंच पर औपचारिक शुभारंभ किया जाएगा। इसके बाद सांगीतिक सभाओं की शुरुआत होगी। तानसेन संगीत समारोह में इस साल 10 संगीत सभाएं होंगी। पहली सभा 15 दिसंबर को सायंकाल तानसेन समाधि परिसर में बनाए गए भव्य मंच पर सजेगी। इसके बाद हर दिन यहीं पर प्रातः एवं सायंकालीन सभाएं होंगी। समारोह के तहत 18 दिसम्बर को प्रात:काल 10 बजे से दो संगीत सभायें समानांतर रूप से सजेंगीं। यह सभायें तानसेन समाधि स्थल के मुख्य मंच व मुरैना जिले के सुप्रसिद्ध बटेश्वर मंदिर परिसर में संगीत सभा सजेगी। समारोह के आखिरी दिन यानि 19 दिसंबर को प्रातःकालीन सभा संगीत शिरोमणि तानसेन की जन्मस्थली बेहट में और इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा सायंकाल गूजरी महल परिसर में सजेगी।
अलंकरण समारोह का आयोजन 18 दिसम्बर को सायंकाल 6 बजे तानसेन समाधि परिसर में मुख्य समारोह के भव्य मंच पर आयोजित होगा। देश के ख्यातिनाम तबला वादक पं. स्वपन चौधरी कोलकाता को वर्ष 2023 के तानसेन सम्मान से विभूषित किया जायेगा। इसी तरह वर्ष 2023 के राजा मानसिंह तोमर सम्मान से सानंद न्यास इंदौर को अलंकृत किया जायेगा।
इस साल के तानसेन संगीत समारोह के तहत 14 दिसम्बर को संगीत की नगरी ग्वालियर के 10 प्रमुख् स्थलों पर दुर्लभ वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियां होंगीं। इन स्थलों में टाउन हॉल महाराज बाड़ा, बैजाताल, हस्सू-हद्दू खाँ सभागृह, जयविलास पैलेस, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय, शंकर गांधर्व महाविद्यालय, दत्त मंदिर, ग्वालियर किला व तानसेन कलावीथिका शामिल है। सभा का शुभारंभ पारंपरिक रूप से सायंकाल 7 बजे शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में सुश्री भारती प्रताप बैंगलुरू का सारंगी-तबला वादन होगा। इस सभा में विश्व संगीत के तहत यूजीनाकागावा एवं सुश्री शिगेरू मोरियामा जापान की प्रस्तुति होगी। इसी क्रम में पं. राहुल शर्मा मुम्बई का संतूर वादन एवं इसके बाद दिल्ली से पधार रहीं और ग्वालियर की मूलनिवासी शास्त्रीय संगीत की ख्यातिनाम गायिका सुश्री मीता पण्डित का गायन होगा।
इस सभा का शुभारंभ प्रात: 10 बजे राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इसके बाद दिल्ली के भास्कर नाथ एवं साथियों द्वारा शहनाई वादन किया जायेगा। इसी क्रम में प्रयागराज के पं. प्रेमकुमार मलिक का ध्रुपद गायन एवं सभा के अंत में विश्व संगीत के तहत इजराइल के तावोर वैन दोर एवं तामार क्लोपर का सितार – गायन व तबला वादन होगा।
सायंकालीन सभा 16 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल आरंभ सायंकाल 6 बजे तानसेन संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में पं. संतोष नाहर नईदिल्ली का वायोलिन वादन व वाराणसी के पं. रित्विक सान्याल के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति होगी।
प्रात:कालीन सभा 17 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल आरंभ प्रात: 10 बजे भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इसके बाद भोपाल के महेश मलिक एवं अमित मलिक की वायोलिन जुगलबंदी, स्थानीय कलाकार का गायन वादन, वाराणसी के पं. कमला शंकर का गिटार वादन एवं जयपुर के अश्विल दलवी का सुर बहार वादन होगा।
सायंकालीन सभा 17 दिसम्बर – 6 बजे शंकर गांधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विश्व संगीत के तहत फ्रांस के एटिने कैबरे व क्रिस्टोफ रोचर, निकोलस पॉइंटर्ड द्वारा रैप व संगीत बैंड की प्रस्तुत दी जायेगी। इसी क्रम में बैंगलुरू के सुविख्यात गायक नागराज राव हवलदार का गायन, राजनांदगाँव से आ रहे विवेक नवरे का सरोद वादन और सभा के अंत में देश की ख्यातिनाम गायिका सुश्री शुभा मुदगल का गायन होगा।
18 दिसम्बर – तानसेन समाधि स्थल की शुरूआत प्रात:काल 10 बजे साधना संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इस सभा में विश्व संगीत के तहत रेमो स्केनो इटली का सितार वादन, मुम्बई की सुश्री आरती अंकलीकर का गायन एवं उस्ताद दानिश असलम खाँ दिल्ली की रबाब प्रस्तुति होगी।
18 दिसम्बर प्रात: 10 बजे मुरैना जिले के बटेश्वर मंदिर परिसर में सजने जा रही इस संगीत सभा में मुरैना के मोहित खाँ का गायन, सुश्री महालक्षमी शिनॉय उदयपुर का गायन, उस्ताद अमीर खाँ भोपाल का सरोद वादन एवं सभा के अंत में सुश्री सुनंदा शर्मा दिल्ली का गायन होगा। सायंकाल 6 बजे ध्रुपद केन्द्र गवालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इस सभा में तानसेन सम्मान से विभूषित कलाकार पं. स्वपन चौधरी कोलकाता का तबला वादन एवं भोपाल के श्री उमाकांत गुंदेचा व श्री अनंत गुंदेचा का ध्रुपद गायन होगा।
19 दिसम्बर प्रात: 10 बजे ध्रुपद केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद स्थानीय कलाकार का गायन-वादन होगा। इसी क्रम में सुश्री अदिति शर्मा दिल्ली का ध्रुपद गायन एवं इसके पश्चात स्थानीय कलाकार के गायन-वादन के साथ सभा का समापन होगा। सायंकालीन एवं अंतिम सभा 19 दिसम्बर – गूजरी महल में पारंपरिक रूप से सायंकाल 6 बजे शारदा नाद मंदिर ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद सुश्री सुकन्या रामगोपाल एवं साथी बैंगलुरू का घटम् वृंद वादन होगा। सभा का समापन सुश्री चोइली एवं मौईशली दत्ता कोलकाता की सरोद जुगलबंदी के साथ होगा।