वीरता की प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप का बनेगा स्मारक।
भोपाल:- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य सरकार का दायित्व भावी पीढ़ी को सही इतिहास पढ़ाना है। वीरता की प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप की कष्ट सहकर भी राष्ट्रधर्म निभाने की प्रतिज्ञा ने भावी पीढ़ियों को प्रेरित किया है। महाराणा प्रताप की जीवनी, राष्ट्र भक्ति, और उनके बलिदान को महाराणा प्रताप लोक के रूप में भावी पीढ़ी के सामने लायेंगे। इससे भावी पीढ़ी को सही प्रेरणा और दिशा मिलेगी। श्री चौहान भोपाल के तात्या टोपे स्टेडियम के पास महाराणा प्रताप स्मारक के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि स्वराज्य और राष्ट्र धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महाराणा प्रताप का नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण के लिए अमर है। उनके जीवन मूल्यों, देश भक्ति और सामाजिक समरसता से समर्पित महाराणा प्रताप स्मारक भावी पीढ़ी को सही प्रेरणा और दिशा देगा। मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप की वीरता का उल्लेख करते हुए कहा कि वे बचपन से ही साहसी थे। महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के शासक के रूप में बागडोर संभाली। युद्धभूमि में महाराणा को देख मुगलों के पसीने छूट जाया करते थे। महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य की विस्तारवादी नीति का विरोध किया और वर्ष 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध सहित अकबर के खिलाफ कई बड़े युद्ध वीरतापूर्वक लड़े। महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व की रक्षा के लिए झालामान, भील सरदार पुजा और उनकी सेना, ग्वालियर के रामशाह तंवर और उनके पुत्र, हाकिम खां सूर और भामाशाह ने अपने प्राणों को दांव पर लगा दिया था। महाराणा प्रताप मुगलों के सामने कभी नहीं झुके।
महाराणा प्रताप स्मारक की संरचना में कुंभलगढ़ दुर्ग से प्रेरित होगी। महाराणा प्रताप की 20 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के साथ ही मेवाड़ वंश के गौरव बप्पा रावल, खुमाण प्रथम, महाराणा हम्मीर, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा एवं उदय सिंह के जीवन चरित्र की प्रदर्शनी दर्शायी जाएगी। महाराणा की जीवनी पर 20 मिनट की फिल्म के प्रदर्शन के लिए इंटरप्रिटेशन सेन्टर बनाया जाएगा। मेवाड़ एवं महाराणा प्रताप के जीवन की घटनाओं और कलाकृतियों को प्रदर्शित करने वाली गैलरी बनाई जाएगी। स्मारक के लैण्डस्केप एरिया में खुली गैलरियों के माध्यम से महाराणा प्रताप द्वारा वन में व्यतीत किए गए कालखंड का प्रदर्शन किया जाएगा। चित्तौड़ में महाराणा कुम्भा द्वारा बनाए गए विजय स्तंभ की प्रतिकृति को स्मारक में स्थापित किया जाएगा। स्मारक में 2000 लोगों की बैठक क्षमता का आकाशीय मंच बनाया जाएगा, जिसमें महाराणा प्रताप के शौर्य, पराक्रम, त्याग एवं बलिदान पर आधारित लाइट एण्ड साउण्ड शो का प्रदर्शन किया जाएगा। निकास मार्ग में प्रमुख युद्धों की भीतिचित्र प्रदर्शनी और 3-D कलाकृतियों का चित्रण होगा। साथ ही परिसर में जन सुविधाएं, कैफेटेरिया और गिफ्ट शॉप का निर्माण किया जायेगा।