लॉकडाउन कोरोना से निपटने का कोई विकल्प नहीं है, पुनर्विचार किया जाए :- एमपीसीसीआई
ग्वालियर:- म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्बारा कोरोना के बढते प्रभाव के कारण जिला प्रशासन द्बारा ग्वालियर में 15 अप्रैल से प्रस्तावित लॉकडाउन के निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने हेतु प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एवं कोरोना नियंत्रण प्रभारी प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं जिलाधीश ग्वालियर को पत्र प्रेषित किया गया है
एमपीसीसीआई ने अपने पत्र में लिखा है कि आज क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में शामिल होकर सुझाव देते हुए लोक डाउन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि लॉकडाउन को शनिवार तक नहीं लगाया जाना चाहिए और उससे पूर्व कुछ प्रयोग कर, देखना चाहिए क्योंकि लॉकडाउन कोरोना से निपटने का कोई विकल्प नहीं है इस बात को हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी, हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं क्योंकि कोरोना जो कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है, वह जीवन भर समाप्त होने वाला नहीं है और अब हमें इसके साथ ही जीवन जीना सीखना चाहिए इससे निपटने का मास्क एक महत्वपूर्ण हथियार है, यह बात सिद्घ हो चुकी है
एमपीसीसीआई ने पत्र में उल्लेख किया है कि कोरोना कर्फ्यू, जनता कर्फ्यू या लाॅकडाउन नाम बदलने से इसका असर नहीं बदलता है इस देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा जनता स्वयं पर निर्भर है, जिसमें दुकानें, उद्योग, सर्विस प्रोवाइडर, निजी क्षेत्र में कार्यरत लोग, एजेन्ट, ब्रोकर आदि आते हैं और जब हम इस तरह का निर्णय लेते हैं कि इन सब गतिविधियों को बंद कर देंगे, तब उन पर पड़ने वाले प्रतिकूल आर्थिक प्रभावों का आंकलन भी नहीं करते हैं और ऐसे निर्णय चंद लोग लेकर 90 प्रतिशत से ज्यादाआबादी पर थोप दिये जाते हैं
इस बार का कोरोना पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा तेज गति से फैल रहा है पॉजिटिविटी रेट ज्यादा है और यह पैनिक भी होगा, इन सब का भी हमें ज्ञान है लेकिन 90 प्रतिशत आबादी के यदि आय के स्त्रोत बंद कर दिये जाएं और सरकारी राजस्व वसूलियां यथावत जारी रहती हैं तो ऐसी स्थिति में यह पैनिक कोरोना बीमारी से कई गुना बड़ा है और बीमारी का तो इलाज हो सकता है वैक्सीन भी मौजूद है लेकिन जब-जब इन आर्थिक गतिविधियों को बंद किया गया है, तब-तब व्यापारी वर्ग को किसी भी सरकार ने कोई आर्थिक राहत नहीं दी है व्यापारी को दुकान का किराया देना पड़ता है,बैंक का ब्याज, ईएमआई, कार्यरत कर्मचारियों का वेतन, बिजली का बिल और सलाहकारों का मानदेय इसको अपनी जमा पूंजी से देना ही पड़ता है, जिसने पिछले 78 दिन के लॉकडाउन में बहुत ही घातक चोट दी है, जिससे यह ९० प्रतिशत आबादी आज तक उबर नहीं पाई है
इसी अनुभव के आधार पर एमपीसीसीआई द्वारा क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में यह सुझाव दिया गया था कि लॉकडाउन अंतिम विकल्प है इसलिए लॉकडाउन से पूर्व हमें निम्नलिखित सुझावों पर अमल करना चाहिए:-
1. बिल्डिंग मटेरियल से संबंधित(सीमेंट, लोहा, सरिया, हार्डवेयर, रंग, सेनेटरी, टिम्बर आदि) इन व्यापार को सायं 6 बजे तक खोलने की अनुमति दी जाना चाहिए
2. हमारे यहां जितने भी थोक बाजार हैं, उन थोक बाजारों को सायं 6 बजे तक व्यापार करने की अनुमति दी जाना चाहिए
3. हमारे यहां सकरी जगह पर स्थित वह बाजार जहां पर भीड़ अधिक होती है उन बाजारों को अल्टरनेट डे के आधार पर मसलन एक दिन एक लाईन व इसके दूसरे दिन दूसरी लाइन को खोलने की अनुमति दी जाना चाहिए
4. शहर के अंदर जाम न लगे इसके लिए नो पार्किंग में गाड़ियां खड़ी न हो, इसका पालन कराया जाना चाहिए
5. शहर में दोपहर १२ बजे से सायं 7 बजे तक लोडिंग-अनलोडिंग पर प्रतिबंध होना चाहिए जिससे कि बाजारों में भीड़ नजर नहीं आयेगी इसके साथ अन्य विकल्प भी हो सकते हैं, जिसके लिए हमें बाजारों के स्थानीय व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों से सुझाव लेना चाहिए और आये सुझावों में से व्यवहारिक सुझावों पर अमल किया जाना चाहिए। आज बड़ी संख्या में व्यापारी ओर स्थानीय व्यापारी संघटन के प्रतिनधि चैम्बर पहुंचे थे ।उनकी पूरी बात सुनने के बाद एमपीसीसीआई द्वारा तत्काल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह से मोबाइल पर चर्चा की गई। चर्चा के आधार पर स्थानीय बाज़ारो के संघटन के प्रतिनधियों के साथ 12 बजे कलेक्टर सभागार में कलेक्टर के साथ चर्चा नियत हुई है।