प्रबंध संचालक ने दिए निर्देश, कॉन्ट्रैक्टर पर कार्यवाही, एवं सप्लायर पर एफआईआर के।
भोपाल:- श्योपुर की विद्युत वितरण व्यवस्था मजबूत बनाने और निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक श्री विशेष गढ़पाले ने श्योपुर का एक दिवसीय सघन दौरा किया। अवैध रूप से रखे गए दो ट्रांसफार्मरों के लिए कॉन्ट्रेक्टर के विरूद्ध कार्यवाही के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रांसफार्मर जिस कंपनी के हैं, उस सप्लायर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। उन्होंने विद्युत वितरण व्यवस्था के सुधार के लिए व्यापक निर्देश दिए और राजस्व संग्रह के लिए जरूरी मार्गदर्शन दिया।
गौरतलब है कि ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अधिकारियों को क्षेत्र का सतत भ्रमण कर विद्युत वितरण व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिये हैं। कंपनी के प्रबंध संचालक श्री विशेष गढ़पाले ने श्योपुर जिले के भोगीका सब स्टेशन का निरीक्षण किया। यह क्षेत्र राजस्थान के सवाई माधोपुर से लगा गहरा वन क्षेत्र है। यहाँ पर उपकेन्द्र 1500 के.व्ही.ए.आर. का एक कैपेसीटर बैंक चालू था, लेकिन मैन्युअल मोड पर था और ऑपरेटर द्वारा उसे चलाया नहीं गया था। एक कैपेसीटर (1500 के.व्ही.ए.आर.) पर मात्र 300 के.व्ही.ए.आर. की यूनिट लगी थी और शेष 2-3 महीने से खराब बतायी गयी। यहाँ भी कैपेसीटर बैंक बन्द था। प्रबंध संचालक ने मौके पर दोनों को चालू कराया और संबंधित उप महाप्रबंधक एस.टी.एम. एवं उप महाप्रबंधक संचारण संधारण पर कार्यवाही के निर्देश दिए। भरौडा सब स्टेशन के निरीक्षण के दौरान दोनों कैपेसीटर बैंक चालू पाये गये, लेकिन उन्हें मैन्युअल मोड पर ही रखा गया था। उन्हें ऑटोमैटिक मोड पर करने के निर्देश दिये गये।
प्रबंध संचालक ने एक हार्डवेयर की वर्कशॉप का निरीक्षण किया एवं वहॉ भारवृद्धि कराई गई साथ ही परिसर में बिजली चोरी करने एवं पीछे ही एक फार्महाउस पर बिना कनेक्शन लिये खेती किये जाने पर प्रकरण बनाए जाने के निर्देश दिये। भोगी का सब स्टेशन के सामने श्री विक्रम सिंह का एक फार्महाउस है जहॉ ए.सी. चलते हुए पाये गये। उन्हें भार वृद्धि करने और ऐसे सभी कनेक्शनों को परिवर्तित करते हुए डी.एल. फीडर से जोड़ने के निर्देश दिये गये। महाप्रबंधक कार्यालय परिसर में ही श्योपुर दक्षिण के निरीक्षण के दौरान पाया गया कि उप महाप्रबंधक और ऑपरेटर कंपनी के संकल्प पोर्टल का प्रचालन ही नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने दो हजार लंबित प्रकरणों पर कार्यवाही के निर्देश दिए और सभी ओ.वाय.टी. प्रकरणों को अतिशीघ्र चेक कर स्वीकृति के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रकरणों को लंबित न रखा जाए, जिनसे कंपनी को राजस्व मिलता है अन्यथा संबंधित के खिलाफ आर्थिक दंड की कार्यवाही की जाएगी।