“परहितसरिसधर्मनहिंभाई” के सिद्धांत पर काम कर रही शिवराज सरकार।
भोपाल:- कोरोना संकटकाल में अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए प्रदेश सरकार का सिर्फ यही मकसद है, कि प्रदेशवासियों को किसी प्रकार का कोई कष्ट न हो, विशेषकर गरीब तबके, किसान, दिहाड़ी मजदूर, महिलाओं और विशेष पिछडे इलाकों के रहवासियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही संबंधित विभागों की समीक्षा कर प्रदेशवासियों को हर संभव सुविधायें पिछले तीन माह में उपलब्ध करवाई हैं। अल्प अवधि राजकीय कोष को चौतरफा खोल समाज के प्रत्येक वर्ग को सहायता पहुंचाकर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने केवल उदारता का परिचय दिया बल्कि एक मिसाल कायम कर महानायक के रूप में पुन: अपनी पहचान स्थापित की।श्री चौहान ने समाज के हर तबके के साथ संवाद बनाये रखा और उनकी समस्याओं को जानकर उनका निराकरण भी किया। मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने संचार की तकनीकों का उपयोग कर 237 घंटे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों, मनरेगा श्रमिकों, पंचायत प्रतिनिधियों, पत्रकारों, तेंदूपत्ता संग्राहकों, धर्म गुरूओं, संबल योजना के हितग्राहियों, स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी, मैदानी स्वास्थ्यकर्मियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं सहित उन व्यक्तियों के साथ भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जो चिकित्सालयों से कोरोना से जंग जीत कर वापस आये।
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की विचारधारा को मध्यप्रदेश की भूमि पर उतारने के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। लॉकडाउन के संबंध में जारी केंद्र सरकार की एडवायजरी को प्रदेश में सख्ती से लागू किया गया। इसके साथ ही प्रदेश की जनता के लिये विशेष परिस्थितियों में विशेष जरूरतों के अनुरूप कदम उठाते हुए हर वर्ग को आर्थिक सहायता एवं जरूरी आवश्यकतायें उपलब्ध करवाई हैं। इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ायें।