विवेकपूर्ण और साहसिक निर्णयों का वर्ष 2019
भोपाल:- मध्यप्रदेश के लोकोन्मुखी प्रशासनिक इतिहास में नि:संदेह, वर्ष 2019 विवेकपूर्ण और साहसिक निर्णयों तथा सार्थक आयोजनों के वर्ष के रूप में याद रखा जाएगा। मुख्यमंत्री के रूप में श्री कमल नाथ के नेतृत्व वाली नई सरकार ने 2 लाख रुपये तक के कृषि ऋण को माफ करने का अपना पहला साहसिक निर्णय लिया। नतीजतन, लगभग 20 लाख किसानों को अब तक राहत मिली और बाकी को राहत मिलना जारी है। यह एक बहुप्रतीक्षित निर्णय था। किसानों द्वारा की गई आत्म-हत्याओं के लिए मुख्य रूप से ऋणग्रस्तता और प्राकृतिक आपदाओं से फसलों की विफलता जैसे कारण बताए गए थे। प्रासंगिक राजस्व कानूनों के तहत किसानों को सामान्य प्रावधानों से अलग हटकर राहत की जरूरत महसूस की जा रही थी।
सरकार ने तुरंत कृषि ऋणों को माफ करने का अपना पहला आदेश जारी कर अपने पहले वादे का सम्मान किया। खाली हो चुके सरकारी खजाने को देखते हुए निर्णय पर प्रारंभिक रूप से संदेह व्यक्त किया गया। यह प्रभावशाली शुरुआत थी। इसके बाद विवेकपूर्ण फैसलों की एक श्रृंखला-सी बन गई। शासन को मज़बूती देना और नई चुनौतियों का सामना कर समाधान निकालना आवश्यक था। वर्ष के अंत तक यह स्पष्ट हो गया कि पहले की सरकार की घोषणाओं और प्रयासों के लिए बजटीय प्रावधान ही नहीं किए गए थे।
जनजातीय बहुल क्षेत्रों में गैरकानूनी रूप से साहूकारी का प्रचलन हमेशा एक समस्या रही है। छोटी-छोटी रकम की जरूरतों के लिए जनजातीय परिवारों को अनौपचारिक रूप से काम कर रहे साहूकारों पर निर्भर रहना होता है और वे तनावपूर्ण जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कई वर्षों तक कर्ज़ से दबे रहते हैं। कर्ज में डूबे ऐसे आदिवासी परिवारों के पक्ष में दूसरे साहसिक निर्णय ने काफी हलचल पैदा की। जनजातीय क्षेत्रों में ज्यादा ब्याज दर पर उधार देने की साहूकारी प्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर इसकी व्यापक रूप से सराहना की गई। परिणामस्वरूप, कई आदिवासी परिवार साहूकारों की ऋणग्रस्तता के चक्र से बाहर आ गए।
अर्थ-व्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में अच्छे फैसले और रणनीतिक प्रयास देखे गए। मध्यप्रदेश को आदिवासी कलाओं की विरासत के संरक्षण का विशेषाधिकार पहले ही मिला है। जाने-माने कलाकार स्वर्गीय जनगढ़ सिंह श्याम ने मध्यप्रदेश को दुनिया भर में आदिवासी कला के केन्द्र के रूप में पहचान दिलाई थी। हाल ही में भज्जू सिंह श्याम को गोंड चित्रों की परंपरा को समृद्ध बनाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। गोंड चित्रकला की विशिष्ट परंपरा और शैली को आगे बढ़ाने के लिए कई गोंड जनजातीय चित्रकार स्व-प्रेरणा से आगे आ रहे हैं। गोंडी बोली में प्राथमिक कक्षाओं के लिए पठन सामग्री को गोंड जनजाति समुदाय के छात्रों के लिए तैयार करने के निर्णय को सराहना मिली। दुनिया भर में देशज लोगों की लुप्तप्राय हो रही बोलियों और भाषाओं के मद्देनजर यह निर्णय महत्वपूर्ण हो जाता है। भाषाई पहचान के संकट के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की जा रही है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इनकी रक्षा तभी हो सकती है, जब इन्हें ज्यादा से ज्यादा बोला और पढ़ा जाए। इसी तरह, 2019 को गोंड कला वर्ष घोषित किया गया।
बिना देखभाल के घूम रहे गो-वंशीय पशुओं के लिए गौ-शाला निर्माण के राज्य सरकार के एक और महत्वपूर्ण निर्णय ने देशव्यापी ध्यान आकर्षित किया है। गहन समीक्षा के दौरान यह तथ्य सामने आया कि अनाथ पशुओं के लिए कोई सरकारी स्वामित्व वाली या संचालित गौ-शाला नहीं है। ऐसे पशु यातायात के लिए खतरा बन रहे हैं, साथ ही खड़ी फसलों को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। इस निर्णय के तुरंत बाद, कई लोग गौ-शाला बनाने के लिए भूमि और सामग्री दान करने की सरकार की घोषणा के समर्थन में सामने आए। कुछ औद्योगिक घराने इस उद्देश्य के लिए अपने सीएसआर फंड देने की पेशकश कर रहे हैं। कुमार मंगलम बिड़ला ने उच्च तकनीकी युक्त गौ-शालाओं के निर्माण की घोषणा की।
इस वर्ष अन्य पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने और सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से गरीब तबके के लोगों के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण करके लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी की गई। खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले वास्तव में आम आदमी के सबसे बड़े दुश्मन हैं। मिलावट-मुक्त भोजन का उपयोग करने के बारे में दुनिया में लोगों में चेतना बढ़ रही है। दुनिया भर में सरकारें लोक स्वास्थ्य के प्रति चेतना और साक्षरता बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं। मध्यप्रदेश जैसे राज्य लोक स्वास्थ्य को खतरे में डालकर मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री की अनुमति के लिए कभी तैयार नहीं हो सकते। हाल ही में, मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ एक सतत अभियान चलाने का दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय लिया गया। इस अभियान को खुले मन से लोगों का समर्थन मिल रहा है।
इसी वर्ष रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर गाइड-लाइन दर को 20 प्रतिशत तक कम करने की रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों द्वारा व्यापक रूप से सराहना की गई। सबसे उत्साहजनक उपलब्धि मध्यप्रदेश को तब मिली, जब टाइगर राज्य का दर्जा दोबारा हासिल हुआ। इसका श्रेय नि:संदेह रणनीतिक वन्य-जीव संरक्षण प्रयासों और राष्ट्रीय उद्यानों के कुशल प्रबंधन को जाता है। इंदौर में मैग्नीफिसेन्ट मध्यप्रदेश, छिंदवाड़ा में कॉर्न फेस्टिवल और भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय हर्बल मेले जैसे आयोजनों की काफी चर्चा रही।