स्मार्ट चिप कम्पनी पर मेहरबान क्यो है परिवहन विभाग?
ग्वालियर:- “बांगड़ ही जब खेत को चरने लगे तो उस खेत का भगवान ही मालिक है” कहावत को चरितार्थ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है परिवहन महकमा। हमेशा से सुर्खियों में रहने वाला परिवहन विभाग इन दिनों अपनी कारगुज़ारियों पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश करने में लगा हुआ है, परन्तु लीकेज को रोकने में सफल नहीं होता दिख रहा है।
गोरतलब है कि एक तरफ नवागत परिवहन आयुक्त राजस्व के टारगेट पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके अधीनस्थ विभाग का पैसा लुटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार परिवहन कार्यालयों को सिरोल पर शिफ्ट हुए एक बर्ष के करीब हो चुका है। परन्तु महकमे को सेवाएं दे रही स्मार्ट चिप कम्पनी के बिजली का बिल विभाग द्वारा दिया जा रहा है। अब सवाल यह उठता है कि परिवहन विभाग स्मार्ट चिप कम्पनी पर इतना मेहरबान क्यों है? जब कि कम्पनी का अनुबंध समाप्त हो गया है। जानकारों का कहना है कि आगामी अनुबंध होने तक काम करने की परमिशन दे दी गई है।
बहरहाल अब देखना यह है कि इस मामले में मुंह में गुड़ रख कर बैठे आला अधिकारी कोई ठोस कदम उठा पाने की हिमाकत कर पायेंगे, अथवा वही ढाक के तीन पात बाली कहावत को चरितार्थ करते रहेंगे। यह तो भविष्य की गर्त में दफन हैं।