नये भारत में कोई नौकर नहीं होगा:- लाल जी टंडन
भोपाल:- महामहिम राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने कहा कि नये भारत का तेजी से निर्माण हो रहा है। नए भारत में कोई नौकर नहीं होगा। हर हाथ का अपना हुनर होगा। इसके लिए आवश्यक उत्पाद, टेलेंट, संसाधन, नीति, परिश्रम, लगन और देश को आगे बढ़ाने के लिए नि:स्वार्थ, समर्पण के साथ कार्य करने वाले नेतृत्व के प्रभाव से समाज की सोच सकारात्मक बनी है। यह चेतना कल के भारत का निर्माण करेगी। भारत की अर्थ-व्यवस्था की गति बता रही है कि कुछ ही वर्षों में वह दुनिया की नंबर एक अर्थ-व्यवस्था बन जायेगी। व्यक्ति बनेगा तो समाज बनेगा, समाज बनेगा तो देश बनेगा।
राज्यपाल श्री टंडन ने युवाओं का आव्हान किया कि हाथ का पौरुष जागृत करें, अंतर्रात्मा को जगाये, मस्तिष्क को दूर तक देखने के लिए तैयार करें। नए भारत के निर्माण के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ और व्यवस्थाएँ उपलब्ध हैं। बड़े और विशाल स्टार्टअप खड़े करने के लिए उर्वर भूमि तैयार है। केवल इच्छाशक्ति के साथ प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भविष्य उन्हीं का है जो कुछ करने की चाह रखते हैं। नए भारत के निर्माण के लिए नए हाथ चाहिए। केवल इस हीन भावना को छोड़ना होगा कि यह छोटा कार्य है क्योंकि छोटा कार्य ही आगे चलकर बड़ा होता है।
श्री टंडन ने कहा कि भारतीय वैदिक संस्कृति में ‘इदं नमं’ एक मंत्र है। यह जो कुछ भी है, वह मेरा नहीं है। वह समाज और देश के लिए है। इस भावना के साथ उद्यम स्थापना के प्रयासों की सफलता निश्चित है। उन्होंने कहा कि भारत का तकनीकी कौशल विकास तेजी से बढ़ रहा है। आज से कुछ दशक पूर्व जब भारत का व्यक्ति अंतरिक्ष में गया था तो उसे देखने के लिए बड़ा जनसमूह एकत्रित हो जाता था। आज चंद्रयान चांद पर पहुँच रहा है। हमारे वैज्ञानिक कहीं ज्यादा परिणामकारी हो गए हैं। जल, थल, नभ हर जगह का वैज्ञानिक कौशल अर्थ-व्यवस्था के विकास में जुड़ जाए, तो देश का भविष्य बदलना निश्चित है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि दस्तकारों और हुनरमंदों को आर्थिक लाभ के साथ ही सामाजिक सम्मान भी प्राप्त था। इसलिए वे निरंतर अपने कौशल को बेहतर से बेहतर करने के लिए कार्य करते थे। अविभाजित भारत का ढाका अपनी विशिष्ट मलमल के लिए प्रसिद्ध था। जिसका थान अंगूठी से निकल जाता था। उन महान हस्तशिल्पियों और दस्तकारों के जींस हमारे पास हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया में प्रसिद्ध ढाका के समान मलमल के निर्माण का प्रयास एक युवा ने किया है। वह इसे और बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि भारत में मध्य युग में परिस्थितियाँ बदलने से भारत का उद्योग व्यापार नष्ट हो गया। लेकिन आज पुन: हम उस गौरव को प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।
राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि नए भारत के निर्माण की पहली ईंट अटल इनक्यूबेशन सेंटर है। यह सेक्टर शीघ्र ही समृद्ध अर्थ-व्यवस्था रूपी विशाल भवन बनेगा। इस अवसर का साक्षी बन कर मैं स्वयं को गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ। इस अवसर पर उन्होंने रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के नवीन पाठ्यक्रम का लोकार्पण किया।