उद्यानिकी, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन एवं मत्स्य पालन की समीक्षा बैठक सम्पन्न
ग्वालियर:- कृषि उत्पादन आयुक्त श्री प्रभांशु कमल एवं पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने आज यहाँ उद्यानिकी, पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन एवं कुक्कुट पालन की विस्तार से समीक्षा की। समीक्षा बैठक में ग्वालियर संभाग के कमिश्नर श्री बी एम शर्मा, चंबल संभाग की कमिश्नर श्रीमती रेनू तिवारी, पशुपालन, दुग्ध संघ, उद्यानिकी एवं मत्स्य पालन के वरिष्ठ अधिकारी, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं संबंधित विभागों के दोनों संभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।
उद्यानिकी विभाग की समीक्षा करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त श्री प्रभांशु कमल ने संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि किचिन गार्डन के बीजों के पैकेट का वितरण ऐसे स्थानों पर किया जाए, जहाँ पर कुपोषित बच्चे हों। उन्होंने कलेक्टर को निर्देश दिए कि वे नर्सरी एवं फार्म का निरीक्षण करें। साथ ही उद्यानिकी की समीक्षा कर लक्ष्यपूर्ति कराएं। उन्होंने निर्देश दिए कि फल क्षेत्र के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसके अलावा मसाला क्षेत्र के विकास के लिए कृषकों के प्रशिक्षण कराए जाएं। श्री प्रभांशु कमल ने निर्देश दिए कि अधिक से अधिक संख्या में पॉली हाऊस लगवाए जाएं। उन्होंने बताया कि इसकी कुल लागत 33 लाख रूपए आती है, जिस पर सरकार की ओर से अनुदान भी प्राप्त होता है। उन्होंने निर्देशित किया कि उद्यानिकी क्षेत्र में कलेक्टर सिंचाई के साधन उपलब्ध कराएं।
पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुए अपर मुख्य सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि अन्य प्रदेशों की तुलना में मध्यप्रदेश में पशुपालन का योगदान कम है। दुग्ध उत्पादन में भी प्रदेश देश में 12वें स्थान पर है। इसके अलावा अण्डा उत्पादन में भी काफी पीछे है। उन्होंने बताया कि गौवंश एवं भैंस वंश की स्थिति प्रदेश में संतोषजनक है। इसी प्रकार दुग्ध उत्पादन में ग्वालियर एवं चंबल संभाग अच्छी स्थिति में है। उन्होंने निर्देश दिए कि पशुओं के स्वस्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए, ताकि दुग्ध उत्पादन में कमी नहीं आने पाए। उन्होंने बताया कि पशुपालन रोजगार में भी सहायक है। नस्ल सुधार के बारे में उन्होंने निर्देश दिए कि कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जाए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 11 हजार कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों की आवश्यकता है। कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों के बढ़ाने से वत्सोत्पादन बढ़ेगा और नस्ल में भी सुधार होगा। पशु उपचार के संबंध में उन्होंने कहा कि पशुओं का बीमा भी कराया जाए। जिससे पशु हानि होने पर क्षतिपूर्ति हो सके। इसलिए अधिक से अधिक पशुओं के बीमे कराए जाएं। इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
गौशाला के संबंध में श्री मनोज श्रीवास्तव ने निर्देश दिए कि सरकार गौशालाओं की ओर विशेष ध्यान दे रही है। इसलिए गौशालाओं के लिए जिन स्थानों का चयन किया गया है, उन पर तत्काल काम शुरू हो जाए। इसे अधिक महत्व दिया जाए। इसके अलावा गौशालाओं में गोबर गैस संयंत्र लगाने के साथ ही अन्य स्थानीय कार्यों को भी इससे जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि पंचायतों एवं दुग्ध सहकारी समितियों को गौशाला संधारण का कार्य दिया जाए। कोई भी गाय निराश्रित पशु के रूप में न रहे। उन्होंने बताया कि 100 गौशालाएं बड़े मंदिरों को दे रहे हैं, जिनके पास अधिक भूमि है। भारत सरकार भी इसके लिए आर्थिक सहायता दे रही है। पशु कल्याण समितियों के संबंध में उन्होंने निर्देश दिए कि इन समितियों का प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के पश्चात पुनर्गठन किया जाए। जिसमें विधायकों को भी नामांकित किया जाए। जिला स्तर के अलावा ब्लॉक स्तर पर भी पशु कल्याण समितियां बनाई जाएं। अपर मुख्य सचिव ने कलेक्टरों से कहा कि जो जमीन जिस विभाग को जिस कार्य के लिए दी गई है, उसी कार्य के लिए उसका उपयोग करें, अन्य कार्यों में नहीं। पशुधन संजीवनी के संबंध में उन्होंने निर्देश दिए कि यदि कोई पशु बीमार हो जाता है तो 1962 नम्बर पर फोन करके डॉक्टर को बुलवाकर उसका उपचार कराया जाए। यह नम्बर भी हैल्पलाइन है। अत: इसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए। कलेक्टर इस योजना की सतत मॉनीटरिंग करें।
दुग्ध उत्पादन की समीक्षा करते हुए श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि दुग्ध उत्पादन की तुलना में संकलन बहुत कम है। अत: दुग्ध संकलन को और अधिक बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि दुग्ध संघ को लाभ होना उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि दुग्ध उत्पादकों को लाभ होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने निर्देश दिए कि दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के गठन पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जाए। साथ ही मिल्क रूट भी अधिक बनाए जाएं, ताकि दुग्ध संकलन की मात्रा को बढ़ाया जा सके। उन्होंने निर्देश दिए कि पशु आहार को खाद-बीज डीलर के पास रखवाया जाए। जहाँ से पशुपालक आसानी से खरीद सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि वर्तमान में ग्वालियर दुग्ध संघ के 16 उत्पाद हैं, इन्हें बढ़ाकर 100 तक किया जाए। उन्होंने मंदिरो में साँची पार्लर बनाने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए।