ग्वालियर का संगीत एवं कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है – राज्यपाल
ग्वालियर:- ग्वालियर संगीत एवं कला की नगरी है। संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली है। ग्वालियर का संगीत एवं कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। इसी योगदान को देखते हुए प्रदेश का एक मात्र संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर में स्थापित किया गया है। जिसमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग 25 हजार तक पहुँच गई है। संगीत न केवल मनोरंजन बल्कि मन को शांति प्रदान करता है। यह बात प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने उदबोधन में कही।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय में ध्रुपद केन्द्र का भी संचालन किया जा रहा है। ध्रुपद एवं आष्टांग गायकी का प्रभाव तो सभी घरानों में देखा जा सकता है। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी प्रदेश के साथ देश भर में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को बधाई दी। उन्होंने कहा संगीत तो चारों ओर है। चाहे किसान के लहलहाते खेत हों या भक्ति । संगीत चारों तरफ अपनी प्रभावी छाप छोड़ता है। यह हमें अनुशासित करता है।
गुरूवार को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। यह समारोह कृषि महाविद्यालय के सभागार में रखा गया था। राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने सभी छात्र-छात्राओं से कहा कि ज्ञान अर्जित करने के लिए कड़ी साधना करनी पड़ती है। हमें हमेशा सीखते रहने का प्रयास करना चाहिए। संगीत एवं कला में निरंतर अभ्यास से ही निखार आता है। उन्होंने कहा छात्र-छात्राएं पढ़-लिखकर डिग्री लेने तक ही सीमित न रहें बल्कि देश व समाज के विकास में भागीदार बनें।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ने बहुत कम समय में अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य शिविर लगाकर छात्र-छात्राओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। जिसकी जानकारी अभिभावकों को भी दी जाए। उन्होंने कुपोषण का जिक्र करते हुए कहा कि यदि हमें कुपोषण के खिलाफ जंग जीतनी है तो महिलाओं को अच्छा पोषण आहार देना होगा, तभी बच्चे स्वस्थ होंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में सभी मेडीकल यूनिवर्सिटी में लड़कियों का हीमोग्लोबिन चैक करवाया जा रहा है। जिसमें अभी तक एक लाख से अधिक का हीमोग्लोबिन परीक्षण किया गया है।
उन्होंने दिव्यांग बच्चों को फलों की टोकरी भेंट की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमो में बच्चों को बुलाने का उद्देश्य यही है कि बच्चे प्रेरित हों। वह आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करें। इसमें हम सभी का योगदान जरूरी है। समाज के कमजोर वर्ग को सक्षम लोगों द्वारा मदद की जाए। उन्होंने गुरू-शिष्य के व्यवहार पर भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों के साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए। एक सभ्य समाज के नागरिक होने के नाते हमें मर्यादा के साथ रहना चाहिए।
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की। दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश की संस्कृति, चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्रीमती विजय लक्ष्मी साधौ उपस्थित थीं। संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेणु तिवारी एवं कुलसचिव श्री अजय शर्मा भी मंचासीन थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ उनके अभिभावक, स्व-सहायता समूह की महिलाएं एवं दिव्यांग बच्चे भी मौजूद थे।
दो
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्कृति एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्रीमती विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि संगीत एवं कला के क्षेत्र में ग्वालियर समृद्ध रहा है। ध्रुपद गायन में प्रख्यात राजा मानसिंह तोमर के नाम पर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय के छात्रों ने पूरे देश भर में अपनी प्रतिभा दिखाई है। उन्होंने कहा यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि यह हमारी संस्कृति को संजोकर उसे नई पीढ़ी तक पहुँचा रहा है। उन्होंने प्रवीणता सूची में स्थान पाने वाले स्वर्ण पदक विजेता छात्रों को बधाई दी और उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होने यह भी कहा कि हमारी संस्कृति श्रेष्ठ है। हमें इसे नहीं भूलना चाहिए।