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सुर-संगीत की चली बयार

सुर-संगीत की चली बयार

ग्वालियर व्यापार मेला में शनिवार की शाम फेसिलिटेशन सेंटर में श्रीरंग संगीत एवं कला संस्थान की ओर से “संगीत आराधना“ का आयोजन किया गया। जहां शास़्त्रीय व सुगम संगीत, भक्ति गीत, राष्ट्र आराधना एवं सदाबहार गीतों के सच्चे सुरों का गुलदस्ता सजा, जिसकी महक ने वहां उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम के मुख्यअतिथि महापौर विवेक नारायण शेजवलकर थे। अध्यक्षता डॉ. दिवाकर विद्यालंकार ने की। जबकि गंगादास की बड़ी शाला के महंत रामसेवक दास महाराज, राजा मानसिंह संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय शर्मा एवं मेला प्राधिकरण के सचिव पीसी वर्मा विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम का संचालन संस्था के सचिव एवं सूत्रधार अशोक आनंद ने किया।
बसंत पंचमी के पावन उपलक्ष में राग सरस्वती में पंडित उमेश कंपूवाले ने “ सुर सरस्वती से मांगू मैं हाथ जोड़ विनती करत“ सरस्वती आराधना से कार्यक्रम का आगाज किया। डॉ. पारुल दीक्षित ने बनारस घराने की पारम्परिक होरी “रंग डारुंगी नंद के लाल पे, सांवरा रंग लाल कर दूंगी“ की प्रस्तुति से होरी की रंगत बिखेरी।
होरी की रंगत को बदलते हुए नवनीत कौशल ने बड़े गुलाम अली की कालजयी रचना ठुमरी“ याद पिया की आए, ये दुःख सहा न जाए “ से मोहब्बत की खूशबू और दर्द का अहसास करा दिया।
अब बारी थी शरद ऋषि जैन ने की जिन्होंने मीराबाई की अमर कृति “ सांसों की माला में सिमरू मैं पी का नाम“ की प्रस्तुति दी।
शास्त्रीय और सुगम संगीत के बाद नवनीत कौशल ने राष्ट्रभक्ति का अलख जगाते हुए मातृभूमि की सेवा में समर्पित सैनिकों के लिए “ संदेशे आते हैं, हमें तड़पाते हैं“ की प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। गायक कलाकरों के साथ विकास विपट, शशिकांत गेवराइकर एवं हरिओम गोस्वामी ने संगत की। करीब दो घंटे के दौरान कलाकारों ने अपनी-अपनी शैली में अनेक गीत प्रस्तुत किए।
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