तम्बाकू के दुष्प्रभाव से बचने जन-जागरण के साथ-साथ कानून का भी पालन जरूरी
ग्वालियर:- तम्बाकू एवं तम्बाकू से बने उत्पाद कैंसर का बहुत बड़ा कारण हैं। इससे बहुत से युवा असमय काल-कलवित हो जाते हैं। इसलिए तम्बाकू के इस्तेमाल और बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए व्यापक जन-जागरण के साथ-साथ तम्बाकू विक्रेता लायसेंस और तम्बाकू नियंत्रण कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत है। यह सभी के सहयोग से ही संभव होगा। यह बात विषय-विशेषज्ञों ने युवा पीढ़ी को तम्बाकू के खतरे से बचाने के उद्देश्य को लेकर गुरूवार को सिटी सेंटर स्थित राज्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं संचार संस्थान में आयोजित कार्यशाला में कही।
कार्यशाला का आयोजन कन्जूमर वॉईस नईदिल्ली और एनसीएचएसई (नेशनल सेंटर फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स एण्ड एनवायरमेंट) के संयुक्त तत्वावधान में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से किया गया।
एनसीएचएसई के महानिदेशक डॉ. प्रदीप नंदी ने मध्यप्रदेश और भारत वर्ष के अन्य राज्यों में तम्बाकू सेवन की मात्रा और युवाओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव पर प्रकाश डाला। साथ ही कोटपा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता बताई।
कार्यशाला में संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. ए.के. दीक्षित ने कहा तम्बाकू से संबंधित खतरों से युवा पीढ़ी को बचाने के लिये सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पादों (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन और आपूर्ति व वितरण का निषेध) अधिनियम 2003 (कोटपा) के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल दिया। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि इसका कड़ाई से पालन कराएं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मृदुल सक्सेना ने बताया कि जिले के सभी अस्पतालों व शासकीय कार्यालयों को तम्बाकू निषेध क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जा रही है।
जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती ममता चतुर्वेदी ने कहा कि राज्य शासन के दिशा-निर्देशों के तहत विद्यालयों में कोटपा अधिनियम की धाराओं का पालन करते हुए विद्यालयों के नजदीक तम्बाकू उत्पादों के विक्रय को प्रतिबंधित किया गया है। कार्यक्रम में स्मार्ट सिटी के अभियंता श्री बी एस सिकरवार, नोडल अधिकारी डॉ. आलोक पुरोहित और एनसीएचएसई के डिप्टी डायरेक्टर श्री अविनाश श्रीवास्तव ने भी विचार व्यक्त किए।