ग्वालियर काउंटर मैग्नेट सिटी के मामले में ठीक उल्टा हुआ. यहां जमीन का चयन पहले हुआ, फिर रिहायशी परिसर बनाए गए जिसमें कई दशकों का समय लग गया.