भुगतान में गफलत या गफलत में भुगतान?
ग्वालियर:- “जब बांगड़ ही खेत को चरने लगे तो उस खेत का तो भगवान ही मालिक है” इस कहावत को चरितार्थ करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा हैं परिवहन विभाग। यहां यह बताना उचित होगा कि एक तरफ परिवहन विभाग के आला अधिकारी मध्यप्रदेश शासन से मिले टारगेट को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर के राजस्व प्राप्ति के प्रयास में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर महकमे के अधिकारी अपने कारनामों को अंजाम देने में लेस मात्र भी संकोच नहीं कर रहे हैं।
गोरतलब है कि परिवहन विभाग ने विगत वर्ष 25/09/2019 को इस शर्त के साथ की वाहन परिवहन कार्यालय में टेक्सी कोटे में पंजीकृत होने के साथ माडल बर्ष 2018 अथवा उसके बाद का हो, एक अनुबंध करते हुए विभाग में तकरीबन एक दर्जन के करीब वाहन किराए पर लिए। परन्तु उक्त दोनों ही शर्तों पर का महकमे ने उल्लंघन किया। अनुबंध करते समय ठेकेदार ने जो वाहनों की सूची उपलब्ध कराई उसमें दोनों ही शर्तों की अनदेखी की गई थी। उक्त सूची में आधा दर्जन के करीब वाहन 2018 के पूर्व में पंजीकृत हैं, साथ ही निजी वाहन के रूप में है।
ऐसा नहीं है कि इस मामले की जानकारी विभाग को नहीं है, परन्तु इस सब के बाद भी महकमे ने ठेकेदार को भुगतान करने में कोई अवरोध नहीं किया गया। जब कि नियम विरुद्ध किए जा रहे भुगतान पर रोक लगाने एवं जांच कराने की शिकायत विभाग में प्रचलन में है। जानकारों का कहना है कि उक्त शिकायत को नजरंदाज कर भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बहरहाल अब देखना यह है कि उक्त शिकायत पर जांच पूर्ण होने तक भुगतान रोका जाता है अथवा किया जा सकता है? यह तो भविष्य के गर्त में दफन हैं?