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Homeअंचलग्वालियरक्या ? क्यों ? कैसे ? और कब तक ? सुनहरे भविष्य का निर्माण।

क्या ? क्यों ? कैसे ? और कब तक ? सुनहरे भविष्य का निर्माण।

क्या ? क्यों ? कैसे ? और कब तक ? सुनहरे भविष्य का निर्माण।

ग्वालियर:- रास्ते पर गति की सीमा है, बैंकों में पैसों की सीमा है व परीक्षा में समय की सीमा है। लेकिन हमारी सोच की कोई सीमा नहीं है। यानि अनंत या असीमित सोचा जा सकता है। इसलिए श्रेष्ठ से श्रेष्ठ सोचें और श्रेष्ठ से श्रेष्ठ का चयन करें तथा श्रेष्ठ से श्रेष्ठ प्राप्त करने का प्रयास करें। ये पंक्तियां उस किताब की प्रस्तावना का अंश है, जो अपने भीतर सभी वर्गों के भविष्य के निर्माण की राहें समेटे हुए है। संभाग आयुक्त कार्यालय ग्वालियर में उप आयुक्त विकास के पद पर पदस्थ शिव प्रसाद गोला ने लिखी है यह पुस्तक। पुस्तक का प्रकाशन सन्मति पब्लिशर्स मेरठ रोड हापुड़ द्वारा किया गया है। मानव जीवन की सफलता के लिए सभी प्रकार की रूचियों के अनुसार लक्ष्य हासिल करने से संबंधित पाठ्यक्रम, प्रवेश परीक्षाओं व कार्यक्रमों एवं उनमें शामिल होने की जानकारी सरल भाषा में पुस्तक में उपलब्ध है। कहने का आशय है कि सफल उद्यमी, सफल लोक सेवक, सफल खिलाड़ी, सफल शिक्षाविद्, सफल प्रबंधक, सफल कृषक, सफल एंकर व मोटिवेटर, सफल इंजीनियर, सफल चिकित्सक, सफल चित्रकार, सफल आर्मी पर्सन, सफल वैज्ञानिक व सफल संगीतज्ञ कैसे बनें ? इन सबके संबंध में पुस्तक में राह दिखाई गई है। यहां तक राजनीतिक क्षेत्र में कैसे सफल हो सकते हैं उसके बारे में भी बताया गया है।

स्कूल स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतिभा एवं स्कॉलरशिप की परीक्षाएं,  राष्ट्रीय मिलिट्री व इंडियन मिलिट्री स्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय एवं केन्द्रीय विद्यालय संगठन से लेकर हायर सेकेण्ड्री स्तर के बाद इंजीनियरिंग व मेडीकल कोर्स, कानून, कृषि, विदेश, यूपीएससी, पीएससी, वन सेवा, प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, वायु सेवाएं, विभिन्न राज्यों के राज्य लोक सेवा आयोग, बैंक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान, इसरो, भारत संचार निगम, सेंट्रल टीचर्स एलिजीबिलिटी टेस्ट, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज योजना, एंकरिंग, फिल्म मेकिंग व डिजायनिंग, आईआईटी, नेचुरोपैथी, आयुर्वेदिक, ग्रुप ए व ग्रुप बी सिविल सर्विसेज, रेलवे, फोरेन लेंग्वेज, कम्प्यूटर कोर्स, कम्बाइंड जियो साइंटिस्ट एवं जियोलॉजिस्ट सर्विसेज, सीडीएस, बीएसएफ, सीआरपीएफ, विमान पत्तन प्राधिकरण, जर्नलिज्म, ऑनलाइन गेम डवलपर, माइक्रो फायनेंस, चार्टर्ड अकाउंट, शिल्प कला, डीआरडीओ सहित अन्य सभी तरह के डिग्री कोर्स के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं की जानकारी इस पुस्तक में बखूबी ढंग से दी गई है।
प्रेरणादायक महान विभूतियों ने किस प्रकार से अपने लक्ष्य हासिल किए, इसकी जानकारी भी पुस्तक में उपलब्ध है। मसलन मराठा कृषक परिवार में जन्मे श्रीकांत जिचकर जिन्होंने विधायक, सासंद, मंत्री, आईएएस व आईपीएस, कुलपति, वेरिस्टर, चित्रकार, फोटोग्राफर, मोटीवेशनल स्पीकर आदि बनकर दिखाया। इतना ही नहीं उन्होंने 20 से अधिक डिग्रियां हासिल की और गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया। इसी तरह स्वामी विवेकानंद, वैज्ञानिक सी बी रमन, क्रिकेटर सचिन रमेश तेंदुलकर, भाला फेंक में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चौपड़ा, ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद, सफल उद्यमी धीरू भाई अंबानी व अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम लिंकन सहित अन्य विभूतियों के जीवन के सफलता के सूत्र इस पुस्तक में समाहित हैं।
पुस्तक के लेखक ने युवाओं के लिए प्रेरणा स्वरूप एक दृष्टांत का उदाहरण देते हुए उल्लेख किया है कि “जो कामयाब होने वाला है समस्याएं उसकी जिंदगी का हिस्सा हैं, जो कामयाब हो चुका है समस्याएं उसकी जिंदगी का किस्सा हैं”। इसलिए युवा समस्याओं से जूझते हुए आगे बढ़ उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने आहृवान किया है कि हमेशा बड़े लक्ष्य देखें और मेहनत के साथ उन्हें हासिल करने के प्रयास करें। एक दृष्टांत का उदाहरण देते हुए वे लिखते हैं कि यदि लोग आपके चयनित लक्ष्य पर हंस नहीं रहे हैं तो निश्चित मानिए कि आपका चयनित लक्ष्य बहुत छोटा है। यह पुस्तक बच्चों से लेकर जीवन की आखिरी दहलीज पर खड़े लोगों के लिए विशेष उपयोगी बन गई है।

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