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Homeअंचलग्वालियर” विकास का दर्पण, विरासतों का संरक्षण” की मूल भावना पर आधारित है स्मार्ट सिटी के विकास कार्य:- श्रीमती जयति सिंह

” विकास का दर्पण, विरासतों का संरक्षण” की मूल भावना पर आधारित है स्मार्ट सिटी के विकास कार्य:- श्रीमती जयति सिंह

” विकास का दर्पण, विरासतों का संरक्षण” की मूल भावना पर आधारित है स्मार्ट सिटी के विकास कार्य:- श्रीमती जयति सिंह

ग्वालियर:-  ग्वालियर स्मार्ट सिटी द्वारा शहर विकास के साथ-साथ शहर को सुंदर बनाने के लिये  लगातार प्रयास किये जा रहे है। इसी उद्देश्य को लेकर ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने पेंटिंग्स की एक विधा स्ट्रीट आर्ट को अपनाकर कला की विभिन्न कृतियों के साथ शहर की दीवारों को जीवंत किया है। शहर की दीवारों को स्ट्रीट आर्ट के द्वारा चित्रित करने के लिये ऐसी व्यस्त सडकों के आसपास की दीवारो को चुना गया जो, खाली और बेरंग थी। ऐसी ही दीवारो को चुनकर ग्वालियर स्मार्ट सिटी नें इनपर थीम आधारित वाँल आर्ट (स्ट्रीट आर्ट) करके इन्हे जीवंत करने का एक नवाचार किया है।

ग्वालियर स्मार्ट सिटी सीईओ श्रीमती जयति सिंह ने जानकारी देते हुये बताया कि शहर में कलात्मक प्रभाव कैसे पैदा हो इस पहल के विचार को साकार करने के उद्देश्य से शहर की दीवारो पर पेंटिंग की एक विधा वाँल आर्ट यानि स्ट्रीट आर्ट को अपनाया गया है। श्रीमती सिंह नें बताया कि स्ट्रीट आर्ट जैसी विधा आमतौर पर म्यूजियम और कला गैलरी इत्यादी में देखने को ही मिलती है लेकिन स्मार्ट सिटी नें नवाचार करते हुये स्ट्रीट आर्ट के द्वारा कला की विभिन्न कृतियों के साथ शहर की दीवारों को जीवंत किया है। स्ट्रीट आर्ट में किसी भी कलाकृति को बनाने के लिए उच्च गुणवत्तायुक्त रंगों और संसाधनों का प्रयोग किया जाता है।
श्रीमती सिंह नें बताया कि ग्वालियर स्मार्ट सिटी की टेग लाइन “विकास का दर्पण, विरासतो का संरक्षण” की मूल भावना को बनाये रखने के लिए, हम परिश्रमपूर्वक विरासत संरक्षण पर काम कर रहे हैं, जिसमें हर कदम पर रचनात्मक अनुप्रयोग शामिल है। शहर की दीवारों पर वॉल आर्ट का पूरा विचार नागरिकों की रचनात्मक प्रवृत्ति को सुलभ कला से जोड़ना है।
श्रीमती सिंह नें बताया कि विभिन्न विषयो पर आधारित वाँल आर्ट के माध्यम से ग्वालियर शहर की कला और संस्कृति को पहचान दिलाने की कोशिश की जा रही है। गौलतलब है कि संगीत ग्वालियर शहर की आत्मा है और संगीत इसमे रचा बसा है, इसी को ध्यान में रखकर संगीत नगरी के रुप में युनेस्को स्तर पर पहचान दिलाने के उद्देश्य से संगीत थीम के तहत पडाव पुल के पास थीम आधारित संगीत वाद्ययंत्र की एक पूरी श्रृंखला को दर्शाया गया है तो वही बस स्टैंड के पास अत्यधिक जटिल राग रागिनी चित्रों की एक श्रृंखला को दीवारों पर वाँल आर्ट के माध्यम से उकेरा गया है। वही बच्चों को ध्यान में रखते हुए, गोविंद पुरी में सडक की दीवारों को पंचतंत्र विषय के लिए समर्पित किया गया है। जिन्हे देखकर बच्चे दिलचस्प कहानियों से प्रेरित होकर नैतिक सीख को अपने जीवन में उतार सकते है। हाल ही में मोती महल रोड की दीवारो पर वाँल आर्ट के माध्यम से भारत की कला की उत्कृष्ट कृतियों को बनाया गया है। ये ख्यातिप्राप्त कलाकारों द्वारा बनाई गई कला की प्रसिद्ध कृतियाँ हैं जिन्हे इन दीवारो पर उन्ही कृतियो के समकक्ष रुप में बनाया गया है ताकि शहरवासियो को इनका ज्ञान हो सके।
श्रीमती सिंह नें बताया कि वॉल आर्ट की इन श्रृंखलाओं को हमेशा से आम लोगों द्वारा समान रूप से सराहा गया है। इस तरह की पहल के साथ, शहर को न केवल एक नया रूप मिलता है, बल्कि नागरिकों के साथ एक रचनात्मक बंधन भी विकसित होता है। जिस तरह मोबाइल फोटोग्राफी और सेल्फी बहुत लोगो को आकर्षित करती है, वैसे ही इस तरह के कलात्मक हस्तक्षेप अतीत की तुलना में अधिक ध्यान आकर्षित करने का एक जरिया है।

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