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मंकी पॉक्स की रोकथाम एवं बचाव के लिए गाइड लाइन जारी!

मंकी पॉक्स की रोकथाम एवं बचाव के लिए गाइड लाइन जारी!

ग्वालियर:- कलेक्टर श्रीमती रूचिका चौहान के निर्देशन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ग्वालियर डॉ. आर. के. राजौरिया ने बताया कि वरिष्ठ कार्यालय द्वारा मंकी पॉक्स बीमारी के संबंध में प्राप्त दिशा निर्देश गाईड लाईन जारी की गई जिसके अनुसार मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में पाई जाती है। मंकी पॉक्स से संक्रमित रोगी को सामान्यतः बुखार, रेशे और लिम्फ नोड्स में सूजन पाई जाती है। कुछ रोगियों में चिकित्सकीय जटिलतायें हो सकती है। मंकीपॉक्स एक स्व-सीमित संक्रमण है। जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते हैं। गंभीर प्रकरणों में मृत्यु दर 1-10ः प्रतिशत है। मंकीपॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फेल सकता है। उक्त वायरस कटी-फटी त्वचा, आंख, नाक या मुँह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु/वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोचने, शरीर में तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क, जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है। उक्त बीमारी के संबंध में अधीनस्थ समस्त स्वास्थ्य संस्था प्रभारियों को अवगत कराया जाकर दिशा निर्देश के साथ ही आमजन में जागरूकता लाने एवं संबंधित बीमारी के संबंध में जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य सेे जिला अस्पताल मुरार में हैल्पडेस्क मोबाईल नम्बर 9713528573 जारी किया गया है। जिसके माध्यम से डॉ. नीतेश मुदगल (एम.डी. मेडीसिन) व डॉ. राम बंसल (बाल्य एवं शिशु रोग विषेषज्ञ) द्वारा प्रातः 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक आमजन को संबंधित बीमारी के संबंध में आवश्यक जानकारी देकर जगरूक करेंगे । उक्त बीमारी के संभावित मरीजों के उपचार एवं प्रबंधन हेतु जिला चिकित्सालय मुरार में 10 बिस्तरीय आयसोलेशन वार्ड स्थापित किया गया है। साथ ही आवश्यक दवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है!

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