9वें इंटरनेशनल हेरिटेज टूरिज्म काॅन्क्लेव का आयोजन हुआ ग्वालियर में।
ग्वालियर:- भारत में हेरिटेज टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न स्तर पर प्रयास करने होंगे और इससे दुनिया भर से पर्यटअकों को भारत की तरफ आकर्षित करने में मदद मिलेगी। भारत के सांस्कृतिक विरासत स्थलों को प्रमुखता से पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करना होगा और पर्यटकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाओं को जुटाना होगा। विभिन्न राज्यों में मौजूद संख्य विरासत स्थलों और संसाधनों को प्रभावी अंदाज से प्रस्तुत करना होगा। इसके साथ ही पर्यटन उत्पादों को अच्छी तरह से तैयार कर संभावित पर्यटकों के समक्ष लाना होगा और उनका हेरिटेज स्वरूप भी बनाए रखना होगा। ये प्रबंध करना होगा कि पर्यटकों को इन हेरिटेज स्थलों के संबंध में हर जानकारी आसानी से उपलब्ध हो और उनकी हर सुविधा का ख्याल रखा जाएगा। इस संबंध में एक उच्च स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाना चाहिए जो कि सांस्कृतिक विरासत उत्पादों को उचित रूप से लागू करने और ट्रैक करने के लिए काम करे।37 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों और कई अन्य प्राकृतिक स्थलों के साथ भारत में हेरिटेज पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं जिन्हें इन सभी को कवर करने के लिए पर्यअकों को भारत की बार-बार यात्रा करने की आवश्यकता है। संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए चुनौतियां भी काफी बड़ी हैं। पर्यटन मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ’एक विरासत योजना को अपनाना’ हमारे स्मारकों को प्रदर्शित करने और सतत विकास को चलाने के लिए सर्वोत्तम प्रक्रियाओं में से एक है। पैनलिस्टों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सतत विकास के लक्ष्य के साथ एक स्पष्ट दृष्टि और एक अच्छी तरह से तैयार कार्ययोजना है, जो बड़े पैमाने पर संरक्षण और विकास, स्वच्छ हवा, पानी, ऊर्जा और विरासत प्रदान करती है। टेक्नोलाॅजीज, डाॅक्यूमेंटेशन, क्षमता निर्माण और विनियमन हेरिटेज टूरिज्म के सतत विकास के लिए जाने का तरीका है।