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सीईओ जिला पंचायत ग्वालियर प्रशासक नियुक्त।

सीईओ जिला पंचायत ग्वालियर प्रशासक नियुक्त।

ग्वालियर:-  सहकारिता एवं सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सहकारिता माफिया के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाए। विशेषकर सहकारी गृह निर्माण समितियों के ऐसे पदाधिकारी जिन्होंने सदस्यों से रूपए लेने के बाद भी प्लॉट नहीं दिए हैं ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए। इस अवसर पर उन्होंने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक में डिपोजिट बढ़ाने के भी निर्देश दिए। डॉ. गोविंद सिंह ने यह निर्देश आज यहां मोतीमहल के मानसभागार में आयोजित ग्वालियर एवं चंबल संभागों की सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में दिए। उन्होंने जिला पंचायत ग्वालियर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री शिवम वर्मा को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक ग्वालियर का प्रशासक नियुक्त करने की घोषणा भी की।

सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने निर्देश दिए कि गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं का भौतिक सत्यापन किया जाए। जिसमें संस्थाओं की जमीन अवश्य देखी जाएं। इसके अलावा कितने सदस्यों को प्लॉट मिल गए हैं एवं कितने शेष हैं, यह भी देखा जाए। उन्होंने निर्देशित किया कि यदि किसी संस्था का कोई विवाद है तो उसका निराकरण कराकर सदस्यों को प्लाट दिए जाएं। इसके लिए सहकारिता विभाग, नगर निगम, ग्वालियर विकास प्राधिकरण तथा अन्य संबंधित संस्थायें समन्वय से कार्य करें। डॉ. गोविंद सिंह ने निर्देश दिए कि संस्था में हुए विकास के नाम पर फर्जी खर्च की जांच की जाए। उन्होंने गृह निर्माण समितियों का शतप्रतिशत ऑडिट करने के भी निर्देश दिए। ऑडिट में विशेषकर पिछले वर्षों के ऑडिट नोट देखने के निर्देश दिए। जिन संस्थाओं के पदाधिकारी ऑडिट के लिए रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, उनके खिलाफ लिखकर दें एवं एफआईआर दर्ज कराएं। साथ ही उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की जाए। बैठक में बताया गया कि 24 संस्थाओं की 26 नस्तियां गायब हैं। इस संबंध में उन्होंने निर्देश दिए कि जिन संस्थाओं का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है, उनका बोर्ड भंग करें। साथ ही समाचार पत्रों में ऐसी संस्थाओं का नाम प्रकाशित कराया जाए। सहकारिता मंत्री ने कहा कि संस्थाओं के गलत कार्य में विभाग के जो अधिकारी एवं कर्मचारी संलग्न हैं उनकी गोपनीय चरित्रावली में विपरीत टीप लिखी जाए, वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाए एवं पदावनत करने की कार्रवाई की जाए। इसके अलावा कार्य में सुधार नहीं होता है तो 20 – 50 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाए।

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