पर्यावरण संरक्षण के विश्वगुरू थे महात्मा गाँधी:- सांसद श्री जयराम रमेश
भोपाल:- विश्व में पर्यावरण के लिये जितने भी आन्दोलन हुए हैं या हो रहे है, उन सभी आंदोलनों में गाँधी जी के विचार ही परिलक्षित होते हैं। गाँधी जी का जीवन पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम उदाहरण है। गाँधी जी ने वैसे तो पर्यावरण के लिये कोई पुस्तक नहीं लिखी है और न ही ऐसा कोई पत्र है किन्तु उनका जीवन अपने आप में पर्यावरण संरक्षण की एक मिसाल कहा जा सकता है। राज्यसभा सदस्य और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री जयराम रमेश ने एप्को द्वारा आयोजित व्याख्यान माला के अंतर्गत गाँधी दर्शन संगोष्ठी में यह बात कही।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रमेश ने कहा िक भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिये चिपको आन्दोलन और नर्मदा आन्दोलन भी गाँधीवादी विचारधाराओं से प्रेरित रहे हैं। गाँधी जी ने अपने जीवन में हमेशा बेस्ट रिसायकलिंग का उदाहरण प्रस्तुत किया है और जनमानस को इसे अपनाने के लिये प्रेरित भी किया। उन्होंने कहा कि भारत में पर्यावरण पर बहुत बातें होती हैं। हमारी जीवनशैली, धर्म, परम्पराएँ आदि सभी प्रकृति से जुड़ी हैं। हमारी पहचान गंगा और हिमालय से है। वृहद अरण्य उपनिषद् पर्यावरण पर ही लिखा गया है। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म के सभी देवी-देवता का वाहन कोई न कोई पशु-पक्षी है। इसके विपरित विदेशों की संस्कृति प्रकृति पर काबू पाना और नियंत्रित करने की रही है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे यहाँ प्रकृति के साथ संतुलन का सिद्धांत ही सर्वमान्य है।
श्री जयराम रमेश ने कहा कि गाँधी जी के जीवनकाल में केवल एक बार ही जन्म-दिन मनाने का उदाहरण मिलता है। वर्धा के लोगों ने कस्तूरबा गाँधी ट्रस्ट बनाया था। ट्रस्ट ने आर्थिक सहायता के लिये गाँधी जी को 2 अक्टूबर को आमंत्रित किया। वहाँ गाँधी जी ने कहा कि उन्हें याद नहीं है कि इस दिन उनका जन्म-दिन रहता है। वर्धा के लोगों के निवेदन पर गाँधी जी ने 75 वर्ष की आयु में जन्म-दिन मनाने के लिये स्वीकृति दी थी।