एचआईव्ही से बचाव के लिए कार्यशाला सम्पन्न
मुरैना:- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. व्ही के गुप्ता ने कहा कि एच आई वी (ह्यूमन इम्यूनो डेफीशिएन्सी वायरस) उस वायरस या विषाणु को कहते हैं जो मनुष्य के शरीर की रोग, प्रतिरोधक क्षमता या बीमारियों से बचाने वाली ताकत को कम कर देता है। जिन व्यक्तियों के शरीर में यह विषाणु होता है उन्हें एच.आई.वी. पॉजिटिव कहा जाता है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिये, इससे घबराये नहीं। ये बात उन्होने शुक्रवार को एचआईव्ही पर आधारित कार्यशाला में जिला चिकित्सालय के ओपीडी सभागार में सम्बोधित करते हुये कही। इस अवसर पर कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डा. अनुभा माहेश्वरी, काउसलर एड्स प्रोग्रामर श्री जय तिवारी सहित अन्य शहरी एवं ग्रामीण लोग उपस्थित थे।
एच आई वी एक वायरस है जबकि एड्स इस विषाणु के कारण होने वाली बीमारियों के समूह का नाम है। एच आई वी जब किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तो रोगों से लड़ने की क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है तब अनेक बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। इस अवस्था को एड्स कहा जाता है।
1. अपने साथी के साथ वफादारी।
2. यौन संबंध के दौरान कण्डोम का सही और हरबार इस्तेमाल।
3. रक्त चढ़ाए जाने की आवश्कता होने पर केवल लाइसेंस प्राप्त ब्लड।
4. बैंक से जांच किया हुआ रक्त प्राप्त कर उसी का उपयोग किया जाये।
5. हर बार नई या डिस्पोजेबल सुई-सिरिंजों का इस्तेमाल करना।
6. गर्भावास्था के दौरान महिला की शीघ्र एचआईवी जांच और उपयुक्त इलाज।
1. एकीकृत सलाह और जांच केन्द्र :- आईसीटीसी में एचआईवी की जांच मुफ्त उपलब्ध है। जांच से पहले और बाद में परामर्श दिया जाता है। यह जांच पूरी तरह गोपनीय होती है। यह सुविधा सभी जिला अस्पतालों, चिकित्सा महाविद्यालय, कुछ सिविल अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्ध है।
2. डॉट्स योजना :– एचआईवी संक्रमित लोगों को अक्सर टीबी हो जाती है। इसका इलाज भी एआरटी केन्द्रों के माध्यम से किया जाता है।
1. आईसीटीसी केन्द्र में जाकर नि:शुल्क परामर्श एवं जांच सेवा का लाभ लें।
2. एचआईवी/एडस की जानकारी लेने में कभी संकोच न करें। आप खुद भी जानिये और दूसरों को भी बताइये।
3. दुर्घटना या बीमारी के दौरान रक्त लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक से ही लें और यह सुनिश्चित कर लें कि वह एचआईवी मुक्त हो।