कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे – कलेक्टर
ग्वालियर:- रूबेला – मीजल्स टीकाकरण अभियान के लिए ऐसी रणनीति बनाएं, जिससे एक भी बच्चा टीकाकरण से छूटे नहीं। सरकारी व निजी स्कूलों तथा आँगनबाड़ी केन्द्रों पर विशेष फोकस करें और शतप्रतिशत बच्चों को टीके लगवाएं। यह निर्देश कलेक्टर श्री अशोक कुमार वर्मा ने रूबेला-मीजल्स टीकाकरण अभियान के क्रियान्वयन को लेकर आयोजित हुई टास्क फोर्स कमेटी की बैठक में दिए।
मालूम हो सम्पूर्ण प्रदेश के साथ ग्वालियर जिले में भी 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को मीजल्स और घातक बीमारियों से बचाने के लिये 15 जनवरी से रुबेला-मीजल्स टीकाकरण (एमआर वैक्सीन) अभियान चलाया जायेगा। बच्चों का भविष्य स्वस्थ और सुरक्षित करने के लिये माता-पिता से भी आग्रह किया गया है कि वे अपने बच्चों को ये टीके जरूर लगवाएं। अभियान के तहत बालक-बालिकाओं को दाएँ बाजू में पीड़ारहित टीका लगाकर जानलेवा बीमारियों से बचाया जायेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. एम एस राजावत ने बैठक में जानकारी दी कि रुबेला वायरस के संक्रमण से महिलाएँ बार-बार गर्भपात का शिकार होती हैं। यदि ये महिलाएँ गर्भवती हो भी जाती हैं, तो वे या तो मृत शिशु को जन्म देती हैं या गर्भस्थ शिशु अविकसित, कुछ न कुछ शारीरिक दोष जैसे दिल में छेद, शरीर का कोई भाग न होना या मानसिक अथवा शारीरिक रूप से बाधक होना होता है। शिशु के साथ माता-पिता का भी जीवन कष्टदायक हो जाता है। जिस बच्चे को बड़े होकर माता-पिता का सहारा बनना होता है, वही जीवनभर के लिये माता-पिता पर आश्रित हो जाता है।
इसी तरह मीजल्स या खसरा भी घातक बीमारी है। मीजल्स स्वयं इतना खतरनाक नहीं है, जितने इसके दुष्परिणाम जैसे अंधापन, मस्तिष्क में सूजन, निमोनिया और डायरिया। पीड़ित बच्चा कुपोषण का शिकार हो जाता है। कई बार बच्चे की मृत्यु तक हो जाती है। पूरे विश्व में मीजल्स से होने वाली 30 प्रतिशत बाल मृत्यु भारत में होती है।
उन्होंने बताया कि इन दोनों घातक बीमारियों को एम.आर. वैक्सीन (मीजल्स-रुबेला टीका) से रोका जा सकता है। अभियान के लिये मैदानी अमले को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ब्लॉक मेडिकल ऑफीसर को शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिये संकल्प दिलाया गया है।