असुरक्षित यौन संपर्क, संक्रमित सूईयों के उपयोग करने से होता है एड्स
शिवपुरी:- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्री अर्जुन लाल शर्मा ने कहा कि मुख्य रूप से यह बीमारी असुरक्षित यौन संपर्क, संक्रमित सूईयों के बार-बार उपयोग करने से संक्रमित खून मरीज को चढ़ाए जाने एवं एचआईवी पीड़ित गर्भवती महिला से उससे होने वाले शिशु को हो सकता है। इस रोग की तत्काल जांच की सुविधा पूर्णतः गोपनीय रूप से की जाती है और रोगी को एआईटी की दवाओं के माध्यम से उपचार किया जाता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी श्री शर्मा ने उक्त आशय के विचार विश्व एड्स दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय शिवपुरी, आईटीबीपी, 18वीं बटालियन एसएएफ में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस अवसर पर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ.पी.के.खरे, नोडल अधिकारी एड्स(संकल्प संस्था) आईसीएमआर, आईसीटीसी, एसटीआई, एआईटी सेंटर शिवपुरी एवं जिला चिकित्सालय शिवपुरी के समस्त चिकित्सक एवं पैरामेडीकल स्टॉफ तथ क्षय केन्द्र का स्टाफ आदि उपस्थित थे। इस दौरान जनसामान्य को एचआईव्ही एड्स की जांच, उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अर्जुन लाल शर्मा ने कहा कि एचआईवी के वायरस से 8 से 10 वर्षों के उपरांत एड्स होता है। इस रोग से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि सतर्कता एवं सावधानी बरतने की आवश्यकता है। एआईटी सेंटर टी.व्ही. अस्पताल के केंपस में संचालित है।
जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन डॉ. पी.के.खरे ने अपने उद्बोधन में कहा कि एचआईवी वायरस से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे टी.व्ही., केंसर इत्यादि घातक बीमारियां होने की संभावना होती है। इन बीमारियों के समूह को ही एड्स कहते है। नोडल अधिकारी डॉ.आशीष व्यास ने बताया कि मध्यप्रदेश में 47 हजार एचआईवी पोजीटिव है। एआईटी केन्द्र शिवपुरी में 954 एचआईवी पोजीटिव पंजीकृत है। जिन्हें जो एआरटी दवाओं का सेवन कर रहे है। जिसमें मुख्य रूप से गुना, शिवपुरी एवं अशोकनगर एवं श्योपुर जिले के एचआईवी मरीज शामिल है। उन्होंने संकल्प संस्था एवं अन्य सभी पार्टनर से आग्रह किया कि समस्त जोखिम पूर्ण समुदाय, गर्भवती महिला, नशे की सुईयों का इस्तेमाल करने वाले एवं टी.व्ही.मरीजों का अनिवार्य रूप से एचआईव्ही परीक्षण करवाए। यह परीक्षण पूर्णतः निःशुल्क एवं गोपनीय रखा जाता है। परीक्षण की सुविधा सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा जिला चिकित्सालय में निःशुल्क उपलब्ध है।