भूमि सुधार पर काम करें सरकार,या आन्दोलन का सामना-राजगोपाल
ग्वालियर। बदूक की दम पर कोई स्थायी परिवर्तन नहीं हो सकता अहिंसात्मक तरीके से ही समाज परिवर्तन की लड़ाई लडनी होगी। उक्त बातें प्रख्यात गांधीवादी डा.एस.एन.सुब्बराव भाई जी ने जनंादेालन के दौरान मेला मैदान ग्वालियर में आयोजित जनसंसद के दौरान सत्याग्रहियों को सम्बोधित करते हुए कहा।
जनंादोलन के नेता राजगोपाल पी.व्ही. ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार जनांदोलन की मांग पर कार्यवाही नहीं करती है तो आगामी 6 महीनों तक पूरे देश में आंदेालन किया जायेगा और सरकार को पलटने की तैयारी भी। जनता से वादा करके वादाखिलाफी करने वालों को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है।
प्रख्यात गांधीवादी डा.एस.एन.सुब्बराव भाई जी ने कहा कि गांधी जी को स्मरण करने का सबसे बेहतर तरीका सत्याग्रह है जिसके दम पर उन्होनें देश को आजादी दिलायी। उन्होनें कहा कि बिना हथियार के दम पर संघर्ष जारी रहेगा और सफलता भी मिलेगी।
असम के पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंथ हिसंामुक्त समाज के लिए राज्य सरकारे सबको जमीन दें। हवा, आकाश और प्रकाश पर जिस तरह से सबका समान हक देश में जन्म लेने के साथ ही मिलता है उसी तरह से जमीन पर भी हक होना चाहिए।
लोक सभा सदस्य हीरा शरण्या ने कहा कि नक्सलवाद की अपेक्षा गांधी मार्ग और दर्शन ही आंदोलन के लिए ठीक है। भूमि सुधार न होने के कारण आजादी अभी भी अधूरी ही है। किसानों की मांग को पूरा न करने वाले किसी भी राजनैतिक दल को सत्ता मे रहने का हक नहीं है।
भाजपा के नेता व संसद सदस्य अनूप मिश्रा ने लोक सभा में भूमि सुधार पर लगाये गये प्रश्नों की अस्वीकृति तथा शून्य काल में भी उनके प्रश्नों को न रखे जाने पर दुख व्यक्त किया। उन्होनें कहा कि यदि जंगल बचाना है तो उसका स्वामित्व और निंयत्रण आदिवासियों को देना होगा, वनविभाग की कोई जरूरत नहीं है। हम उंॅचे मकानों में रहे और गरीबों की झोपड़ी भी तोड़ दी जाये यह सही नहीं है। देश आजाद तो हो गया किंतु सही मायने में आजादी सड़क और झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को आजादी नहीं मिली।
एकता परिषद के अध्यक्ष रनसिंह परमार ने जनसंसद के प्रांरभ में सभी आगंतुक सत्याग्रहियों और अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महात्मा गांधी के जयंती के अवसर पर किया जाने वाला यह आंदोलन गांधी को सड़क पर उतारने की कोशिश है जिससे कि देश में भूमि सुधार लागू किया जा सके।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तीसगढ़ के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक रामदयाल उइके ने कहा कि वनाधिकार मान्यता कानून को ठीक ढंग से लागू नहीं करना आदिवासियों के प्रति सरकार का अमानवीय चेहरा उजागर करता है।
अखिल भारतीय किसान महासभा के अभिमन्यु किसानों ने सरकार से स्वामिनाथ आयोग की रिपोर्ट की संतुतियों पर कार्यवाही करने की मांग की तथा उत्तरप्रदेश में किसानों पर हुई गोली चालन की घटना की निंदा की। उन्होनें मांग किया कि जनता से धोखा देने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करें।
आदिवासी अधिकार मंच के अशोक चैधरी ने कहा कि गांधी मार्ग के माध्यम से ही भूमि सुधार के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है।
जलपुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा पानी और जमीन को व्यावसायिक स्वरूप दे दिया गया है जिसके कारण गरीबों के हाथ से दोनों महत्वपूर्ण संसाधन निकल रही है।
इंदिरा गाध्ंाी समाज सेवा पुरस्कार मध्यप्रदेश से पुरूस्कृत हेमभाई ने सत्याग्रहियों की हौसला आफजाई करते हुए कहा कि सत्याग्रहियों के रूप में वे हजारो-हजार कस्तुरबा और गांधी का दर्शन जनसंसद में हो रहा है। आजादी मांगने से नहीं बल्कि इसको लेना पड़ता है।
लोक संघर्ष मोर्चा की प्रतिभा बहन ने सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि भेदभाव के कारण हिंसात्मक आंदोलन प्रारंभ हो गया है। कानून बनने के बाद भी लागू नहीं होना सरकार की नीयत पर सवाल उठाता है।
दलित मानवाधिकार अभियान के संयोजक पाॅल दिवाकर भूमि सुधार की असफलताएं चारों तरफ दिख रही है। यदि श्रम हमारा है तो जमीन और फसल का स्वामित्व भी हमें मिलना चाहिए।